सावन सोमवार और सोमवती अमावस्या के संयोग पर महाकाल में उमड़े श्रद्धालु, शिप्रा में स्नान कर किए दर्शन
श्रावण-भाद्र माह में निकलने वाली भगवान महाकालेश्वर की दूसरी सोमवार को भगवान महाकालेश्वर,चंद्रमौलेश्वर के रूप में पालकी तथा हाथी पर मनमहेश के रूप में विराजित होकर निकले।
उज्जैन। श्रावण अधिकमास में 54 साल बाद सोमवार को हरियाली अमावस्या के महासंयोग पर शिप्रा व सोमकुंड में तीर्थ स्नान हुआ। देशभर से श्रद्धालु स्नान, दान व महाकाल दर्शन के लिए उज्जैन आये हैं। सोमवार को महाकालेश्वर मंदिर से शाम 4 बजे श्रावण मास में भगवान महाकालेश्वर की दूसरी सवारी भी निकाली गई।
सोमतीर्थ कुंड में बारिश का जल जमा होने तथा सीढिय़ों पर गाद होने के कारण कुंड में स्नान करने पर रोक लगाई गई है। कुंड के चारों ओर बैरिकेड लगाकर इसे बंद कर दिया गया है। स्नान के लिए बैरिकेडस् पर फव्वारे लगाए गए थे। स्नान के बाद महादेव के दर्शन-पूजन किया गया। का विधान है। मान्यता है सोमकुंड में स्नान व सोमेश्वर महादेव के दर्शन से भक्तों को अश्वमेध यज्ञ करने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है।
युवतियां धानी मुक्का खेलेंगी
हरियाली अमावस्या पर दूध तलाई स्थित श्री दूधेश्वर महादेव मंदिर में पूजन का विधान है। युवतियां उत्तर वर की कामना से श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की दूज को घर में ज्वारे बोती है। इसके बाद नित्य पूजा अर्चना कर मनोकामना मांगती है। हरियाली अमावस्या पर व्रत पूर्ण होता है और युवतियां दूधतलाई में ज्वारे विसर्जित करती है। युवतियां सखियों के साथ धानी मुक्का भी खेलती है।
महाकालेश्वर की आज दूसरी सवारी
श्रावण-भाद्र माह में निकलने वाली भगवान महाकालेश्वर की दूसरी सोमवार को भगवान महाकालेश्वर,चंद्रमौलेश्वर के रूप में पालकी तथा हाथी पर मनमहेश के रूप में विराजित होकर निकले। सवारी के पूर्व सभामंडप में भगवान चन्द्रमोलेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन की गई। भगवान चन्द्रमोलेश्वर पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकले और प्रजा का हाल जाना।