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वे बड़े मन के बड़े आदमी : सुमित्रा महाजन

अमृत अटल के साथ साझा किये अपने संस्मरणों में सुमित्रा ताई ने अटल जी के साथ बिताये पलों का उल्लेख किया है।

Update: 2018-08-18 08:40 GMT
अटल जी को राखी बांधतीं हुईं तत्कालीन विदेश मंत्री सुमित्रा महाजन जी

लोकसभा की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन अटल जी को बड़े मन का बड़ा आदमी मानती हैं। अमृत अटल के साथ साझा किये अपने संस्मरणों में सुमित्रा ताई ने अटल जी के साथ बिताये पलों का उल्लेख किया है। सुमित्रा जी ने जम्मू में 1997 में हुई अटल जी की एक सभा का उल्लेख करते हुए बताया कि अटल जी ने उस समय सभा में जो कुछ कहा था वो हम सब लोगों की स्मृति पटल पर अंकित हो गया और साथ ही अंकित हो गई कार्यकर्ताओं के प्रति अपनेपन की उनकी गहरी भावनाएं भी , ठीक वैसे ही जैसे एक परिवार का मुखिया अपने परिजनों को उनकी गलती को सुधारने के लिए समझाता है। अटल जी ने कहा था कि हमारे लिए एक एक कार्यकर्ता महत्वपूर्ण है , एक एक कार्यकर्ता बनाने में मेहनत लगती है। देश के प्रति मैं आपकी भावनाओं को समझता हूँ। ईश्वर न करे यदि कुछ अनिष्ट हो जाता है तो हम क्या करते। ये सब उन्होंने इतनी भावुकता और अपनेपन से कहा कि सबकी आँखें नम हो गई।

सुमित्रा ताई बताती है कि हमेशा  सहज रहना अटल जी का स्वभाव था। लोकसभा चुनाव में इंदौर दौरे का उल्लेख करते हुए उन्होंने अटल जी की सहजता के कई उदाहरण दिए। सुमित्रा जी ने बताया कि सभा को सम्बोधित करने से पहले मंच पर उन्होंने अटल जी को राखी बांधी थी तो उस समय चुनाव के वक्त भी वे बिलकुल सहज थे। भाई अपनी बहन के साथ जैसे ठिठोली करता है वैसे ही वो कहने लगे " अच्छा अब आरती भी उतारोगी, मिठाई भी खिलाओगी।"

सुमित्रा जी ने एक और संस्मरण का उल्लेख करते हुए बताया कि वे खरगौन के आदिवासियों के एक समूह को अटल जी से मिलवाने के लिए ले गई थी। उन आदिवासियों से भी वे उतने ही प्रेम से मिले जितने सबसे मिले। किसी ने उनसे पगड़ी बाँधने के लिए कहा तो वे पगड़ी बंधवाने लगे , किसी ने अपना संगीत सुनाना चाहा तो मुग्ध होकर संगीत सुनने लगे। इसी समूह में जनसंघ के समय के अटल जी के सहयोगी भैया साहेब बड़े की लड़की भी थी, वो अटल जी की पसंदीदा चीजें बनाकर लाई थी लेकिन देने में संकोच कर रही थी। यह बात अटल जी ने पहचान ली और उन्होंने पूछ लिया " मेरे लिए क्या लाई हो "और उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था को परे रखते हुए वे उसकी लाई हुई मिठाई खाने लगे। इसी समय इंदौर का एक नन्हा चित्रकार चयन मेहता उन्हें कारगिल पर बनाये उसके कुछ चित्र दिखाना  चाहता था , उसे सिर्फ तीन मिनट का समय मिला था लेकिन चयन से बात करते हुए , उसके चित्र देखते हुए अटलजी को समय का ख्याल ही नहीं रहा और कम से कम बीस मिनट तक वे उससे बात करते रहे और फिर उसे दरवाजे तक छोड़ने आये। किसी देश का प्रधानमंत्री किसी नन्हे कलाकार को इतना प्यार, इतना सम्मान दे तो वो या तो अटल जी या अटल जी जैसा ही कोई हो सकता है।   

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