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झूठ की आंच पर नफरत फैलाने की कोशिश

प्रशांत बाजपेई

Update: 2019-12-28 23:30 GMT

आखिर कितना कठिन है इस बात को समझना और समझाना कि 1947 में देश विभाजन के बाद जो हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई, पारसी आदि पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान (अब बंग्लादेश) में फंस कर रह गए, उन पर तब से भीषण अत्याचार हो रहे हैं। उनकी आबादी घटती ही जा रही है. उनके छोटे-छोटे बच्चों की जंदगी नरक बन गई है. जबरन इस्लाम क़ुबूल करवाना, हत्या, बलात्कार, संपत्तियों पर कब्जा इनका दुर्भाग्य बन गया है. ये लोग पिछले 70 सालों से भाग-भागकर भारत आ रहे हैं. उन्हें राहत देने, भारत की नागरिकता प्रदान करने के लिए ये अधिनियम बनाया गया है। कितना कठिन है ये समझना कि यह क़ानून भारत के मुस्लिमों से रत्ती भर भी संबंधित नहीं है क्योंकि ये क़ानून भारत के नागरिकों के लिए बना ही नहीं है. देश के नागरिक, वो चाहे मुस्लिम हों या अन्य किसी सम्प्रदाय के, इस क़ानून का उनसे कोई संबंध ही नहीं है.यह पाकिस्तान, बंग्लादेश और अफगानिस्तान के पीडि़त अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने वाला क़ानून है। किसी से नागरिकता छीनने का क़ानून नहीं है। 

सोनिया गांधी आर-पार की लड़ाई का उकसावा दे रही हैं, प्रियंका लाखों को बंदी बनाकर रखने का भय दिखला रही हैं। सोशल मीडिया पर घूमते गुमनाम पर्चे मुस्लिमों को बेवजह झूठे भय दिखा रहे हैं।

हमारी नागरिकता छीनी जा रही है..इसलिए हम यहां प्रदर्शन कर रहे हैं जालीदार टोपी लगाए हुए एक 17 -18 साल का लड़का कैमरे पर बोलता है. लेकिन आपको कैसे पता कि ऐसा हो रहा है... नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) में तो ऐसी कोई बात नहीं है.. सवाल आया। अब ये लड़का असमंजस में है 'देखिए, हमको बताया गया है, कि ऐसा होने वाला है.. इसलिए..'दूसरा Ó एनआरसी एनआरसी.. चिल्लाता है। जब उससे पूछा जाता है कि इसका मतलब क्या है, तो वो बगलें झांकने लगता है। लेकिन पत्थर चल रहे हैं। इन लोगों को भड़काने वाले खुश हैं। वो जंतर-मंतर पर, या किसी और नामचीन जगह, सीएए पर बेबुनियाद बातें कर रहे हैं। कोशिश है कि कोई तमाशा खड़ा हो जाए।

उकसावे वाली बोली

राहुल गांधी का वीडियो क्लिप वायरल है जिम्मेदारी आपकी भी है। जब आपको दबाया जाता है, कुचला जाता है, धमकाया जाता है, .. डरो मत, कांग्रेस पार्टी आपके साथ है.. प्रियंका बोल रही हैं ऐसे क़ानून बनाए जाते हैं, जिससे लाखों नागरिक बंदी की तरह रखे जाते हैं। आज अन्याय के खिलाफ जो नहीं लड़ेगा वो इतिहास में कायर कहलाएगा... सोनिया गांधी लिखा हुआ भाषण जोश के साथ पढ़ रही हैं, 'आर-पारÓ की लड़ाई लडऩे का उकसावा दे रही हैं .. हम अपने घरों से बाहर निकलें.. किसी भी देश या समाज की जिंदगी में कभी-कभी ऐसा वक्त आता है कि उसे इस पार या उस पार का फैसला करना पड़ता है। आज वही वक्त आ गया है... वो लोगों से कोई भी कुर्बानी देने को तैयार रहने को कहती हैं और इसे दोहराती हैं।

झूठ की आंच पर नफरत खौलाई जा रही है। नागरिकता संशोधन अधिनियम पर देश के मुसलमानों को गुमराह करने के लिए कांग्रेस, तृणमूल, दूसरे कई तथाकथित सेकुलर दल, वामपंथी और इनके हमकदम रहे कट्टरपंथियों ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। परिणाम, देश के अलग-अलग हिस्सों में उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं। सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। सैकड़ों ट्रेनें रद्द हो रही हैं। जानें भी जा रही हैं। लेकिन सियासत के गिद्धभोज को बेचैन सियासी जमात इस बवाल की आग को भड़काने में लगी है।

अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने को बेचैन वामपंथी इस समय बेहद सक्रिय हैं। मजदूर यूनियन, छात्र संगठन, बड़ी बिंदी-झोला वाले आदि जो कुछ भी उनके हाथ में है, उन्हें लेकर वो इस अफवाह फैलाओ जंग में कूद पड़े हैं। हंसिया-हथौड़ा छपे लाल झंडे लेकर कुछ दर्जन छात्र कहीं प्रदर्शन करते हैं और मीडिया का एक वर्ग उसे लोगों का उग्र प्रदर्शन रिपोर्ट करता है। सीएए को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं। सोशल मीडिया पर मुसलमानों को संबोधित करता एक पर्चा वायरल है, जिसमें कहा गया है कि मुसलमान बता दें कि वो जि़ंदा हैं.. इस पर्चे में कहा गया है कि एनआरसी लागू होगा तो मुसलमानों को छोड़कर सभी को नागरिकता दे दी जाएगी। फिर आगे लिखा है कि 'अनुमान है कि लगभग 25 करोड़ मुसलमान एनआरसी की कागजी कार्यवाही में फेल हो जाएंगे।Ó तब उनसे वोट देने का अधिकार छिन जाएगा। वो किसी तरह की संपत्ति खरीद या बेच नहीं सकेंगे। उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा। उनकी जमीन जायदाद को सरकार जब्त कर लेगी। उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी और जो नौकरी कर रहे हैं, उनसे नौकरी छीन ली जाएगी। उनके बैंक खातों में जमा पैसों को जब्त कर लिया जाएगा। उन्हें जेल याने डिटेंशन कैम्प में मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा।

आगे ये पर्चा कहता है कि आप भी रोहिंग्या मुसलमानों की तरह स्टेटलेस यानी जिनका कोई देश नहीं है, बन जाएंगे। भाजपा और आरएसएस यही चाहते हैं। अंत में पर्चा आह्वान करता है कि मुसलमानों ! आज हमें कर्बला का किरदार निभाना पड़ेगा क्योंकि दुश्मन हमें हमारे मुल्क से निकालना चाहता है....अब हमें दोबारा कुर्बानी देनी पड़ेगी। इस जुमा को आप ये साबित करें इस तरह की कपोल कल्पित बातें करके दंगा भड़काने की साजि़श की जा रही है, जिसके पीछे की मुख्य प्रेरक शक्ति राजनीति है।

क्या ये कोई विलक्षण बात है कि देश के नागरिकों का एक रजिस्टर बनाया जा रहा है? हर देश अपने देश के नागरिकों का हिसाब रखता है। क्या भारत को भी ऐसा नहीं करना चाहिए। यदि एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स) इतनी ही खराब और असंवैधानिक बात है तो सर्वोच्च न्यायालय ने उस पर रोक क्यों नहीं लगाई?

और ये 'सेलिब्रिटीÓ बुद्धिजीविता

जिन्हें नागरिकता संशोधन अधिनियम का 'क, ख, ग' भी नहीं मालूम ऐसे कुछ फि़ल्मी सितारे भी इसके विरोध प्रदर्शनों की शोभा बढ़ा रहे हैं। कुछ ट्विटर पर संग्राम छेड़े हुए हैं। उनकी जानकारी की झलक मिल जाती है जब कोई पत्रकार उनसे पूछ लेता है कि आखिर वो क्यों विरोध कर रहे हैं? मीडिया के सामने ऐसे ही एक सितारे पेश होते हैं कि देखिए आप यदि देखें तो ऐसा लगता है कि कुछ हो सकता हैं। पढ़ें तो लगता है कि पॉसिबिलिटी है। अगर कुछ नहीं है तो इतने लोग क्यों दुखी हैं.. कुछ सितारों की अपनी राजनैतिक प्रतिबद्धता भी है। विदेशों से वीडियो सन्देश भेजे जा रहे हैं, कि वो 'आइडिया ऑफ़ इंडियाÓ को बचाने के लिए कमर कसे हुए हैं। पर सच यही है कि उन्हें कोई 'आइडियाÓ नहीं है। एक रेला है, उसके साथ भेड़चाल में चंद लोग चले जा रहे हैं। इस नासमझी का बुरा असर पड़ा है। बेवजह की आशंकाएं पैदा हुई हैं। जनजीवन प्रभावित हुआ है।

उधर ममता बनर्जी और दूसरे कुछ 'सेकुलरÓ मुख्यमंत्री घोषणा करते हुए घूम रहे हैं कि वो सीएए को उनके राज्य में लागू नहीं होने देंगे, ये जानते हुए कि ये संवैधानिक रूप से असंभव है। केंद्र द्वारा बनाया गया कोई भी क़ानून हर राज्य पर लागू होता है। ये 'विशेषाधिकारÓ केवल जम्मू-कश्मीर के पास था जो कि 370 हटने के साथ ही समाप्त हो चुका है। कुल मिलाकर इस राजनैतिक तमाशेबाजी में लोग पिस रहे हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)


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