ज्योतिषियों की सलाह पर ऐसे बनी 'भारतीय जनता पार्टी'

Update: 2021-04-06 02:00 GMT

ज्योतिष के बारे में कहा जाता है कि यह जीवन के कालचक्र की अंकगणितीय गणना है। जीवन में घटित होने वाली घटनाओं को पहले जान लेने की मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। यह प्रवृत्ति मनुष्य में पुरातन काल से चली आ रही है। ग्वालियर की राजमाता सिंधिया भी ज्योतिष में गहराई से विश्वास करती थीं। उनके जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी भी घटीं, जिनके बारे में उन्हें ज्योतिषियों ने सावधान किया था। 'ज' शब्द ने राजमाता को व्यक्तिगत तौर पर कई घाव दिए तो सार्वजनिक जीवन में भी इस शब्द ने लगातार निराश किया। उनके समकालीन विद्वान ज्योतिष पं. रमेश उपाध्याय समय-समय पर उन्हें सावधान भी करते थे कि 'ज' शब्द उनके जीवनकाल में कई उतार-चढ़ाव लाता रहेगा। पं. उपाध्याय ने यह भी सलाह दी थी कि वे इस शब्द से परहेज रखें।

छह अप्रैल 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के पीछे भी लंबा इतिहास रहा है। इसमें कुछ किवदंतियां भी रही हैं। जनसंघ के विघटन से पहले ज्योतिषियों ने राजमाता को बहुत पहले ही सावधान कर दिया था कि 'ज' शब्द उनके भाग्य के प्रतिकूल परिणाम देने वाला साबित होगा। पहले तो राजमाता ने इस भविष्यवाणी को गंभीरता से नहीं लिया लेकिन जब एक-एक करके ज्योतिषी के भविष्यवाणी सच साबित होने लगी तब अनायास राजमाता का ध्यान उस भविष्यवाणी पर गया, जिसमें ने कहा था कि वे इस 'ज' शब्द से परहेज करें। राजमाता ने इस गुप्त भविष्यवाणी को श्रद्येय अटलबिहारी वाजपेयी के साथ साझा की। जिसमें उन्होंने बताया कि नई पार्टी का ऐसा नाम रखा जाए जो 'ज' शब्द से शुरू न होता हो। उसके बाद तमाम मंथन के बाद पार्टी का नाम भारतीय जनता पार्टी रखा गया। इस पूरे वाकये के साक्षी रहे राजमाता विजयाराजे सिंधिया के भाई एवं पूर्व मंत्री ध्यानेन्द्र सिंह 'मामा' बताते हैं कि जनसंघ के टूटने के बाद जब नई पार्टी के नामकरण का मंथन हुआ तो राजमाता ने अटल बिहारी वाजपेयी जी को राजपरिवार के ज्योतिषी पं. रमेश उपाध्याय द्वारा राजमाता को लेकर की गई भविष्यवाणी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि पं. उपाध्याय ने कहा था कि आपको 'ज' शब्द से बड़ा नुकसान होगा। राजमाता के व्यक्तिगत जीवन को देखें तो पति जीवाजीराव सिंधिया की अल्प समय में मृत्यु हो गई। जयविलास पैलेस में रहते हुए पारिवारिक मनमुटाव हुआ, जिसके चलते जयविलास छोड़कर रानी पहुंचना पड़ा। अब हम उनके सार्वजनिक जीवन को देखें तो 'जनसंघ' की स्थापना से ही राजमाता ने कई उतार-चढ़ाव देखे। जेल जाने से लेकर जनसंघ का विघटन भी सामने आए। ज्योतिषी की भविष्यवाणी से असहमति जताते हुए पूर्व सांसद सरदार आंग्रे ने जब अपना गुस्सा जताया तो पं. उपाध्याय बोले कि यह सही साबित होगी और आखिरकर वैसा ही हुआ, जब राजमाता को 1977 में जेल जाना पड़ा। इसके अलावा उन्होंने कुछ अन्य किवदंतियां भी अटलजी को बताई। राजमाता ने राज परिवार के गुप्त राज जब अटलजी से साझा किया तो वे भी इससे सहमत हुए और भविष्य में नई पार्टी का नाम 'ज' शब्द से नहीं रखने का तय हुआ। इसलिए बाद में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ। जिसके पहले अध्यक्ष खुद अटल बिहारी बाजपेयी बने। इस तरह से भारतीय जनता पार्टी का पटकथा लिखी गई।

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