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अर्द्धकुंभ से पहले इलाहाबाद का नाम होगा प्रयागराज, केंद्र सरकार देगी एनओसी

Update: 2019-01-02 08:03 GMT

नई दिल्ली । प्रयाग अर्द्धकुंभ की शुरुआत से पहले ही केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक शहर इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने को मंजूरी दे सकती है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस बाबत भेजे गए प्रस्ताव पर गृह मंत्रालय तेजी के साथ काम कर रहा है। इसी साल होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र व योगी सरकार के इस प्रस्ताव को जल्द से जल्द स्वीकृति देने के प्रयास में लगी हुई है। चूंकि कुंभ के दौरान बड़ी तादाद में श्रद्धालु इलाहाबाद में जमा होंगे, इसलिए शहर का नाम बदलने का यह बेहतरीन अवसर भी होगा। आपको बता दें कि अक्टूबर 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने का प्रस्ताव दिया था।

गृह मंत्रालय ने इलाहाबाद का आधिकारिक रूप से नाम बदलने की कवायद शुरू कर दी है। इसके तहत इस जनपद (जिला) का नाम, रेलवे स्टेशन, उच्च न्यायालय, विश्वविद्यालय जैसे तमाम स्थानों के नाम बदल जाएंगे। यानी एक बार केंद्र की मुहर लग जाने के बाद "इलाहाबाद" के नाम से जाना जाने वाला हर संस्थान, संगठन या स्थान "प्रयागराज" के नाम से जाना जाएगा। यानी अभी तक आप जिस इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद उच्च न्यायालय या इलाहाबाद स्टेशन को जानते हैं, वह सब नाम बदले जाने के बाद प्रयागराज के नाम से जाने और पहचाने जाएंगे।

दरअसल, देश में किसी भी स्थान का नाम बदलने से पहले भारत सरकार की मंजूरी जरूरी होती है, क्योंकि किसी एक शहर का नाम, उसकी भौगोलिक पहचान, पोस्टल पहचान आदि भी नाम परिवर्तन के साथ बदलते हैं। इसलिए बिना केंद्र की मंजूरी के देश में किसी भी स्थान का नाम नहीं बदला जा सकता। नाम परिवर्तन से पहले केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों की भी मंजूरी लेनी होती है। प्रयागराज के मामले में भी ऐसा ही है।

गृह मंत्रालय ने कहा है कि देश में "प्रयाग" नाम के 14 स्थान हैं, लेकिन सिर्फ एक ही जगह ऐसी है जिसे "प्रयागराज" के नाम से जाना जाता है। 

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