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असम सरकार का बड़ा फैसला, कहा - अरबी और धार्मिक पाठ पढ़ाना सरकार का काम नहीं है

Update: 2020-02-13 08:49 GMT

गुवाहाटी। असम की भाजपा सरकार ने अगले दो महीनों में 614 सरकार द्वारा वित्तपोषित मदरसा और 101 संस्कृत संस्थानों को बंद करने का निर्णय ले लिया है। साथ हीसरकार इन संस्थानों को उच्च और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में बदल दिया जाएगा। असम के वित्तमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने बताया कि राज्य सरकार ने आम लोगों के पैसे को धार्मिक शिक्षा पर खर्च नहीं करने का निर्णय लिया है।

हेमंत बिस्वा सरमा आगे बताया कि अरबी और धार्मिक पाठ पढ़ाना सरकार का काम नहीं है। एक धर्मनिरपेक्ष देश में धार्मिक शिक्षा को सरकार द्वारा वित्तपोषित नहीं किया जा सकता है। अगर सरकार द्वारा संचालित मदरसों में धार्मिक बातें पढ़ाने की अनुमति दी जाती है तो फिर गीता या बाइबिल को भी सरकारी फंड से पढ़ाया जाना चाहिए।

आपको बता दें कि सरकार हर साल मदरसों में 3 से 4 करोड़ और संस्कृत संस्थानों में एक करोड़ रुपए खर्च करती हैं। 'इन मदरसों में कार्यरत अध्यापक कहीं और रोजगार की चिंता किए बिना घर पर रह सकते हैं। सरकार उनके रिटायरमेंट तक सैलरी देती रहेगी।

इसी तरह संस्कृत संस्थानों की फंडिंग रोकने पर हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि लोग यह न कहें कि धार्मिक आधार पर मदरसे को निशाना बनाया जा रहा है। निजी संस्थानों द्वारा संचालित मदरसे और संस्कृत पहले की तरह काम जारी रख सकते हैं। असम में प्राइवेट मरदसे की संख्या 900 हैंं जिन्हें जमियत उलेमा द्वारा संचालित किया जाता है। 

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