सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल में शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने पर रोक लगाने से किया इंकार, CBI जांच पर दिया स्टे

पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 26 हजार शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है

Update: 2024-04-29 13:31 GMT

नईदिल्ली।  सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के उस फैसले पर पूरी तरह रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसमें 2016 में की गई शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की लगभग 24 हजार नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि रोक लगाने का कोई भी आदेश देने से पहले विस्तार से सुनवाई की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तिथि 6 मई तक सीबीआई को इस मामले में आगे जांच करने से रोक दिया है।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट का ये आदेश सही नहीं है कि पूरी नियुक्तियों को ही रद्द कर दिया जाए, क्योंकि सीबीआई ने केवल 8 हजार नियुक्तियों में ही गड़बड़ी पायी है। वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता, दुष्यंत दवे और मुकुल रोहतगी ने कहा कि किसी कर्मचारी को तभी हटाया जा सकता है, जब जांच की कार्रवाई सेवा नियमों के मुताबिक हो। हाई कोर्ट का पूरी नियुक्तियों को निरस्त करने का फैसला मनमाना है।

हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग

पश्चिम बंगाल सरकार ने याचिका में कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट के इस फैसले से राज्य के स्कूलों में पढ़ाई ठप्प हो जाएगी। याचिका में राज्य सरकार ने आरोप लगाया है कि हाई कोर्ट ने रिकॉर्ड पर बिना किसी भी हलफनामे और मौखिक दलील के आधार पर ही मनमाने ढंग से नियुक्तियां रद्द कर दीं।

हाईकोर्ट ने भर्ती को अवैध ठहराया -

दरअसल, कलकत्ता हाई कोर्ट ने 22 अप्रैल को शिक्षकों की भर्ती को अवैध ठहराते हुए 24 हजार उम्मीदवारों की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए भर्ती के बाद प्राप्त वेतन वापस करने का आदेश दिया था।

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