VIT यूनिवर्सिटी में दूसरे दिन भी आगजनी, पैरामिलिट्री फोर्स तैनात

VIT सीहोर में दूसरे दिन भी आगजनी व विरोध, खराब भोजन-पानी के आरोप, 4 हजार छात्रों का प्रदर्शन, पैरामिलिट्री तैनात।

Update: 2025-11-26 12:19 GMT

मध्य प्रदेश के सीहोर स्थित वीआईटी यूनिवर्सिटी में हालात बुधवार को भी शांत नहीं हो पाए। मंगलवार रात भड़की आग और छात्रों के गुस्से की गर्मी अगले दिन भी हवा में बनी रही। कैंपस का माहौल ऐसा था कि हर आने-जाने वाला खुद से पूछ रहा था आखिर ऐसा क्या हुआ कि हज़ारों छात्र सड़क पर उतर आए?

दूसरे दिन भी धधका कैंपस

बुधवार सुबह कैंपस में फिर धुआं दिखने लगा। कुछ छात्रों ने यूनिवर्सिटी की एक बिल्डिंग में आग लगा दी। रात में जली बस का धुआं सुबह तक दिखता रहा। स्थिति बिगड़ते देख पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती करनी पड़ी। पुलिस की कई टीमें गश्त कर रही हैं।

स्वास्थ्य विभाग की एंट्री

खराब भोजन और दूषित पानी के आरोपों के बीच स्वास्थ्य विभाग की टीम भी कैंपस में पहुंची। सभी छात्रों के मेडिकल टेस्ट लिए गए, ब्लड सैंपल संग्रह किए गए। कई छात्रों ने बताया कि पानी इतना खराब है कि 100 से ज्यादा साथी अस्पताल में भर्ती हो गए। पीलिया फैल चुका है, और कुछ की मौत की खबरें भी सामने आई हैं।हालांकि, इन मौतों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

रात को बस और कारें जलाईं, हजारों छात्र सड़कों पर

मंगलवार रात हालात उस वक्त नियंत्रण से बाहर हो गए जब कथित मारपीट के बाद 4 हजार से भी ज्यादा छात्र विरोध में उतर आए। कैंपस की एक बस को आग के हवाले कर दिया गया, कई कारें भी चपेट में आईं। हालात बिगड़ते देख 5 थानों की पुलिस बुलानी पड़ी। रात के बाद सैकड़ों छात्र बैग लेकर पैदल ही घरों की ओर निकल पड़े। यूनिवर्सिटी ने 30 नवंबर तक अवकाश की घोषणा कर दी।

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 भोजन व्यवस्था की जांच होगी- मंत्री

 प्रदर्शन को लेकर जिले की प्रभारी मंत्री कृष्णा गौर ने कलेक्टर, एसपी और यूनिवर्सिटी प्रबंधन से रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि छात्रों की सुरक्षा सर्वोपरि है। भोजन और मेस व्यवस्था की तत्काल जांच होगी। कैंपस में आवश्यक सुधार किए जाएं और छात्रों के लिए मेडिकल सुविधाएं सुनिश्चित हों। 

ABVP ने सौंपा ज्ञापन 

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपा। उनकी मांगें भोजन और पेयजल व्यवस्था की उच्च स्तरीय जांच और शिकायतों को दबाने वालों पर कार्रवाई हो। पूर्व में लगे आर्थिक दंड की समीक्षा की जाए।  साथ ही प्रबंधन की जिम्मेदारियों तय हों। 

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