Sawan Somvar 2025: बाबा महाकाल की चंद्रमौलेश्वर सवारी आज, भस्म आरती के बाद भांग और ड्रायफ्रूट से दिव्य श्रृंगार

Update: 2025-07-21 02:53 GMT

Baba Mahakal Sawari Today : उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर से सावन के दूसरे सोमवार, 28 जुलाई 2025 को निकलने वाली महाकाल सवारी इस बार सांस्कृतिक और धार्मिक वैभव का अनूठा संगम होगी। भगवान महाकाल मां महेश स्वरूप में पालकी में और चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में हाथी पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे।

जानकारी के मुताबिक, इस बार की सवारी में देश के आठ राज्यों- मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात और झारखंड- के पारंपरिक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। यह पहली बार है जब महाकाल की सवारी में इतनी बड़ी संख्या में जनजातीय और लोक कलाकार शामिल होंगे।

सवारी मार्ग पर झाबुआ का भगोरिया नृत्य, महाराष्ट्र का सोंगी मुखोटा, गुजरात का राठवा आदिवासी नृत्य, और राजस्थान का गैर-घूमरा नृत्य भक्तों को अपनी प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध करेंगे। ये नृत्य दल सवारी के साथ चलते हुए माहौल को उत्साहपूर्ण बनाएंगे।

रामघाट पर ओडिशा का जोड़ी शंख नृत्य अपने युद्ध कौशल और शंख वादन के साथ आकर्षण का केंद्र रहेगा। छत्तीसगढ़ का पंथी नृत्य आध्यात्मिकता को और गहरा करेगा। दत्त अखाड़ा क्षेत्र में हरियाणा का घूमर और छतरपुर का बरेदी नृत्य लोक संस्कृति की जीवंत झलक प्रस्तुत करेंगे। इस आयोजन में भोपाल की जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिसने सवारी को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाने में योगदान दिया है।

सशस्त्र पुलिस बल महाकाल की पालकी को देगा सलामी

सवारी का शुभारंभ शाम 4 बजे मंदिर के सभामंडप में पूजन-अर्चन के साथ होगा। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल पालकी को सलामी देगा। सवारी महाकाल मंदिर से शुरू होकर रामघाट, दत्त अखाड़ा और अन्य प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए लौटेगी। इस दौरान भक्तों के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए लड्डू प्रसाद का वितरण होगा। यह सवारी न केवल धार्मिक भावनाओं को प्रज्वलित करती है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकता को भी एक मंच पर लाकर समृद्ध करती है।

महाकाल सवारी का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

श्री महाकालेश्वर मंदिर,जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है सावन माह में विशेष महत्व रखता है। सावन के प्रत्येक सोमवार को निकलने वाली यह सवारी सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है। माना जाता है कि इस परंपरा की शुरुआत उज्जैन के राजाओं ने की थी। भगवान महाकाल को नगर के रक्षक के रूप में पूजा जाता है, और सवारी के माध्यम से वे नगरवासियों को दर्शन देकर उनका कल्याण करते हैं।

सवारी में भगवान विभिन्न स्वरूपों में दर्शन देते हैं, जैसे उमा-महेश और चंद्रमौलेश्वर। यह आयोजन धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। देशभर से लाखों श्रद्धालु इस सवारी के दर्शन के लिए उज्जैन पहुंचते हैं और इसे पुण्य का कार्य मानते हैं।

सावन की सवारी में शामिल होने के लिए उज्जैन में भक्तों का उत्साह चरम पर होता है। सवारी मार्ग पर हजारों लोग बाबा महाकाल के जयकारे लगाते हैं और "हर हर महादेव" की गूंज वातावरण को भक्तिमय बनाती है। इस बार सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने सवारी को और भी आकर्षक बना दिया है।  


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