पेंच टाइगर रिजर्व से रेस्क्यू हुआ नर बाघ, भोपाल वन विहार में उपचार शुरू
पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी से घायल अवस्था में पाए गए एक नर बाघ को ट्रैंक्युलाइज कर भोपाल के वन विहार में लाया गया। वन विहार स्थित चिकित्सालय में बाघ को बेहोश कर विशेषज्ञों ने प्रारंभिक जांच की और तुरंत उपचार शुरू कर दिया। इसे सतत गहन निगरानी में रखा गया है ताकि स्वास्थ्य में सुधार सुनिश्चित किया जा सके।
क्या है रेक्टल प्रोलेप्स?
विशेषज्ञों के अनुसार, उक्त नर बाघ रेक्टल प्रोलेप्स से ग्रसित है। रेक्टल प्रोलेप्स तब होता है जब निचली आंत या मलाशय गुदा के रास्ते बाहर निकल आता है। यह अवस्था बाघ के लिए अत्यंत दर्दनाक और दुर्बल करने वाली होती है। इससे रक्तस्राव, मल का रिसाव और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
विशेषज्ञ टीम कर रही इलाज
बाघ को वन विहार में विशेषज्ञ टीम के मार्गदर्शन में उपचार शुरू किया गया है। आवश्यकता पड़ने पर सर्जरी का विकल्प भी अपनाया जा सकता है। स्वास्थ्य परीक्षण और उपचार के दौरान बाघ को लगातार निगरानी में रखा जाएगा। वन्यजीव विशेषज्ञ इसे गंभीर, लेकिन प्रबंधनीय स्थिति मान रहे हैं।
वन्यजीव संरक्षण में अहम कदम
पेंच टाइगर रिजर्व से बाघ को सुरक्षित लाने और समय पर उपचार शुरू करने की कार्रवाई वन्यजीव संरक्षण के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इससे न केवल घायल बाघ की जान बचाई गई है, बल्कि अन्य वन्यजीवों के लिए भी सुरक्षा और जागरूकता का संदेश गया है।