मध्य प्रदेश में नक्सल विरोधी अभियान चल रहा है, जिसमें पुलिस को अब तक ऐतिहासिक सफलता मिली है। बालघाट के जंगलों में अलग-अलग समय पर हुई मुठभेड़ों में 11 से ज्यादा खूंखार नक्सली मारे जा चुके हैं, जिनमें 40 लाख तक के इनाम वाले नक्सली शामिल थे।
नक्सली गतिविधियां भी डकैतों की तरह खात्मे के करीब
मप्र में नक्सली गतिविधियां भी डकैतों की तरह खात्मे के करीब हैं। 2013 के बाद मप्र में कोई बड़ा डकैत गिरोह सक्रिय नहीं है। इसी तरह, मार्च 2026 तक मप्र में कोई नक्सली दल नहीं बनेगा।
1000 से ज्यादा जवानों को जंगल में उतारे
पिछले हफ्ते मुठभेड़ के बाद बालाघाट में 1000 से ज्यादा जवानों को जंगल में उतारा गया। बालाघाट में नक्सल अभियान से जुड़े वरिष्ठ पुलिस अधिकारी डेरा डाले हुए हैं। मुठभेड़ के बाद सुरक्षा बलों ने सर्चिंग में नक्सली रायफल, दैनिक उपयोग की वस्तुओं से भरा पिट्टू बैग, 5 बड़े थैले, टेंट का सामान, खून से सने जूते, दवाओं के रूप में उपयोग किए गए इंजेक्शन और मेडिसिन बरामद किए।
मप्र पुलिस के पास नक्सल विरोधी अभियान के लिए मजबूत टीम है, जिसमें सुरक्षा बल से लेकर पुलिस मुख्यालय तक के अफसरों को जंगल में मुठभेड़ और सर्चिंग का अच्छा अनुभव है।
विकास की मुख्य धारा से जुड़ने के लिए बेहतर ऑफर
सरकार की ओर से नक्सलियों को सरेंडर करने पर समाज में लौटने और विकास की मुख्य धारा से जुड़ने के लिए बेहतर ऑफर दिए जा रहे हैं। जिस तरह से सरकार ने डकैतों को सरेंडर करने पर बेहतर जीवन यापन की व्यवस्था की थी, उसी तरह अब नक्सलियों को भी सरेंडर करने पर बेहतर जीवन यापन की सुविधाएं दी जा रही हैं। इसमें सरकारी योजनाओं के तहत घर बनाने से लेकर अन्य सभी जरूरतें पूरी की जाती हैं। साथ ही सुरक्षा भी प्रदान की जाती है।
इनका कहना है
"मप्र से नक्सलवाद खत्म करने की हम कोशिश कर रहे हैं। पूरी टीम ईमानदारी से जुटी है। हमारी टीमें हर मोर्चे पर अलर्ट हैं। सरेंडर करने के भी प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें कुछ लोगों ने आत्मसमर्पण भी किया है।"
कैलाश मकवाना, पुलिस महानिदेशक, मप्र