मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी में अवकाश अब 'अधिकार' नहीं

Update: 2025-11-28 04:51 GMT

एक जनवरी 2026 से बदलेंगे 48 साल पुराने अवकाश नियम

प्रदेश सरकार ने शासकीय सेवकों को मिलने वाली छुट्टियों की पूरी प्रक्रिया को बदल दिया है। अब अवकाश मप्र सिविल सेवा नियम 2025 के तहत ही मिलेगी। राज्य शासन ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है, जो अगले साल 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगी। राज्य में नई व्यवस्था के तहत शासकीय सेवकों के लिए अवकाश अब 'अधिकार' नहीं है। हालांकि अधिनियम में स्पष्ट किया गया है कि इससे किसी भी शासकीय सेवक को मिलने वाले अवकाश के अधिकार को कम नहीं किया गया है। अवकाश तभी मिलेगी, जब लिखित आवेदन प्रस्तुत किया गया हो।यह अधिनियम अखिल भारतीय सेवा, संविदा, अस्थायी और राज्य में प्रतिनियुक्ति पर तैनात शासकीय सेवकों पर लागू नहीं होगा।

अवकाश मांगना कर्मचारी का 'अधिकार' नहीं

नए अवकाश अधिनियम से राज्य के 7 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी और अधिकारी प्रभावित होंगे। इससे पहले 1978 में अवकाश अधिनियम लागू किया गया था, जो 1 जनवरी 2026 से नया अधिनियम लागू होने के साथ स्वतः ही निरस्त हो जाएगा। अधिनियम के अनुसार अवकाश मांगना कर्मचारी का 'अधिकार' नहीं है, लेकिन अवकाश देना या न देना स्वीकृत करने वाले अधिकारी का 'अधिकार' होगा।

संतान पालन अवकाश में भी बदलाव

महिला कर्मचारियों की संतान पालन अवकाश व्यवस्था में बड़ा परिवर्तन किया गया है। अब तक महिला कर्मचारियों को 2 वर्ष (730 दिन) की संतान पालन अवकाश पूर्ण वेतन के साथ दिया जाता था, लेकिन नए नियमों में पहले 365 दिन 100 प्रतिशत वेतन और उसके बाद अगले 365 दिन केवल 80 प्रतिशत वेतन देने का प्रावधान किया गया है। महिला कर्मचारी यह अवकाश एक बार में लें या अलग-अलग हिस्सों में, 365 दिनों के बाद 80 प्रतिशत वेतन ही मिलेगा।नियमों में सरोगेसी से जन्मे बच्चे की देखभाल करने वाली महिला कर्मचारी को भी चाइल्ड केयर लीव का लाभ मिलेगा। नए अवकाश नियमों में दत्तक संतान ग्रहण अवकाश भी शामिल किया गया है। दत्तक लिए गए बच्चे की एक वर्ष की आयु तक कर्मचारी अवकाश ले सकेंगे।

कर्मचारियों को साल में 30 दिन अर्जित अवकाश

नए नियमों में कर्मचारियों को हर वर्ष 30 दिन का अर्जित अवकाश देने का प्रावधान किया गया है। यह दो किस्तों में (6 महीने पर 15-15 दिन) मिलेगा। किसी भी कर्मचारी को एक साथ 5 साल से अधिक का लगातार अवकाश मंजूर नहीं होगा।नए नियम के अनुसार मेडिकल सर्टिफिकेट अब अवकाश की गारंटी नहीं रहेगा। ऐसे मामले जिनमें कर्मचारी के दोबारा कार्य ग्रहण करने की संभावना न हो, अवकाश आवेदन अमान्य माना जाएगा। पूरे सेवाकाल में 180 दिन का अर्द्धवेतन अवकाश बिना मेडिकल सर्टिफिकेट भी मिल सकेगा, लेकिन यदि कर्मचारी इस दौरान इस्तीफा देता है तो यह अवकाश अर्द्धवेतन अवकाश के समान माना जाएगा।

अवकाश से वापसी पर समान पद मिलना जरूरी नहीं

शासकीय सेवक को अवकाश से लौटने पर उसी पद पर नियुक्ति मिलना जरूरी नहीं है, जिस पर वह अवकाश से पूर्व पदस्थ था। अवकाश पूर्ण होने से पहले दायित्व पर वापस आना मान्य नहीं होगा।

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