सास-ससुर की सेवा नहीं कर सकतीं तो नौकरी छोड़ दो-हाईकोर्ट

Update: 2025-12-04 05:53 GMT

बेटे की मौत के बाद अनुकम्पा नियुक्ति लेने वाली बहू के दायित्व पर उच्च न्यायालय सख्त

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने पति की मृत्यु के बाद अनुकम्पा नियुक्ति लेने वाली बहू के मामले में स्पष्ट किया है कि वह अपने वैधानिक दायित्वों से पीछे नहीं हट सकती। मामला राजधानी भोपाल के गोविंदपुरा निवासी प्रमोद और रंजना श्रीवास्तव के बेटे प्राचीर श्रीवास्तव के 2020 में निधन से जुड़ा है। इसके बाद प्रमोद और रंजना ने सहमति से बहू प्रियंका माथुर को अनुकम्पा नियुक्ति दिलाई थी।

प्रारंभ में प्रियंका ने कुछ समय तक सास-ससुर की देखभाल की, लेकिन कुछ ही समय बाद उन्होंने देखभाल से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने सास-ससुर पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए घर भी छोड़ दिया। चार साल तक किसी तरह गुजार करने के बाद बुजुर्ग दंपत्ति ने अनुविभागीय दंडाधिकारी के न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

अनुविभागीय दंडाधिकारी और उच्च न्यायालय की प्रतिक्रिया

19 मई 2025 को गोविंदपुरा अनुविभागीय दंडाधिकारी ने आदेश दिया कि प्रियंका सास-ससुर के साथ रहें और उनकी देखभाल करें। इस आदेश के खिलाफ प्रियंका माथुर ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। 3 दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायाधीश विनय सराफ की युगलपीठ में सुनवाई हुई। प्रियंका की ओर से दलील दी गई कि वह घरेलू विवादों के कारण अलग रह रही हैं और बुजुर्गों की देखभाल करने में सक्षम नहीं हैं। कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि अनुकम्पा नियुक्ति लेकर जिम्मेदारी से पीछे हटना स्वीकार्य नहीं है।

देखभाल नहीं कर सकतीं तो नौकरी छोड़ दें

मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि यदि उनका बेटा जीवित होता, तो वह अपने माता-पिता की सेवा करता; अब यही कर्तव्य बहू को निभाना है। उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि प्रियंका उनकी देखभाल नहीं कर सकतीं, तो वह नौकरी छोड़ दें, ताकि परिवार का कोई अन्य सदस्य यह कर्तव्य निभा सके। बहू को केवल मुआवजा दिया जा सकता है। साथ ही अदालत ने विकल्प रखा कि यदि प्रियंका साथ नहीं रहना चाहतीं, तो अलग रहते हुए देखभाल का तरीका तय किया जा सकता है। प्रियंका ने इस पर सहमति जताई।

अगली सुनवाई

बुजुर्गों की उम्र (प्रमोद 72, रंजना 65) को देखते हुए उच्च न्यायालय ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भोपाल को निर्देश दिया कि वे बुजुर्ग दंपति को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश करवाने में सहायता करें। अगले सुनवाई की तिथि 8 जनवरी 2026 निर्धारित की गई है।

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