एक रुपये में खुशियां: ग्वालियर नगर निगम की अनोखी पहल

Update: 2025-11-09 05:52 GMT

कबाड़ को री-सायकल कर जरूरतमंदों को दिया एक रुपए में

ग्वालियर में इस दीपावली कुछ खास रही- यहां लोगों के घरों में खुशियां सिर्फ एक रुपये में पहुंचीं। यह किसी कहानी की तरह लग सकता है, लेकिन यह एक सच्ची पहल है।ग्वालियर नगर निगम के अपर आयुक्त (IAS) प्रतीक राव की सोच से शुरू हुए इस “एक रुपये में खुशियां” अभियान ने कबाड़ को संवेदना में बदल दिया।

कबाड़ से बना किसी के लिए तोहफा

इस अनोखे अभियान के तहत शहरवासियों से पुराने या बेकार सामान- जैसे कपड़े, खिलौने, बर्तन, फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं- एकत्र की गईं।नगर निगम की टीम ने इन वस्तुओं को री-सायकल और रिपेयर कर गरीब और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले परिवारों को सिर्फ एक रुपये में उपलब्ध कराया।इससे न केवल हजारों परिवारों के चेहरों पर मुस्कान आई, बल्कि डंपिंग साइट का बोझ भी कम हुआ।

हर तीन महीने चलेगा अभियान

नगर निगम अधिकारियों ने बताया कि अब यह अभियान हर तीन माह में चलाया जाएगा।इससे शहर के घरों से निकलने वाला अनुपयोगी सामान दूसरों के जीवन में उपयोगी वस्तु के रूप में पहुंच सकेगा।

साझा जिम्मेदारी की मिसाल

इस अभियान में नगर निगम कर्मचारियों, स्वच्छता ब्रांड एंबेसडरों, और स्थानीय नागरिकों ने मिलकर भाग लिया।कई वार्डों में संग्रह केंद्र बनाए गए, जहां लोग प्रतीक स्वरूप एक रुपये दान देकर अपना सामान जमा कर रहे हैं।रीसायकल किए गए सामान को निगम की टीम ने जरूरतमंदों तक पहुंचाया-बच्चों को खिलौने और कपड़े, बुजुर्गों को कंबल और आवश्यक वस्तुएं दी गईं।

कैसे आया नवाचार का विचार

IAS अधिकारी प्रतीक राव ने बताया कि विचार की शुरुआत डंपिंग साइट से हुई-“जब मैं निरीक्षण के लिए डंपिंग साइट गया, तो देखा कि वहां कपड़े, खिलौने, बर्तन, फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं बड़ी मात्रा में पड़ी थीं। इनमें से कई चीजें सुधारकर दोबारा इस्तेमाल की जा सकती थीं। तभी यह विचार आया कि इन्हें जरूरतमंदों तक पहुंचाया जाए।” उन्होंने यह योजना नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय के सामने रखी, जिन्हें यह विचार पसंद आया।फौरन 8 गाड़ियां ऐसे सामान के संग्रह के लिए शहर की बस्तियों में भेजी गईं।दीपावली तक लगभग 2000 वस्तुएं जरूरतमंद परिवारों के घरों तक पहुंच चुकी थीं।

ग्वालियर बना प्रेरणा केंद्र

इस पहल ने पूरे प्रदेश में ग्वालियर को प्रेरणा केंद्र बना दिया है।यह दिखाता है कि अगर प्रशासन, समाज और नागरिक एक साथ सोचें, तो कचरा भी किसी के लिए खुशियों का तोहफा बन सकता है।

इनका कहना है

संघ प्रिय, नगर निगम आयुक्त (ग्वालियर)

“हम चाहते थे कि ग्वालियर की दिवाली केवल घरों में नहीं, दिलों में भी उजाला करे। ‘एक रुपये में खुशियां’ इसी सोच से जुड़ा प्रयास है, जो समाज में साझेदारी और संवेदना का संदेश देता है।”

Similar News