ग्वालियर व्यापार मेले में बजट के अभाव में खत्म हो रही प्रदर्शनियों की रौनक

Update: 2025-11-16 05:52 GMT

सरकारी योजनाओं की जानकारी देने वाली प्रदर्शनियों के प्रति विभाग की उदासीनता

एक समय था जब ग्वालियर व्यापार मेले की शान शासकीय विभागों की प्रदर्शनियां हुआ करती थीं। लोग दूर-दूर से इन प्रदर्शनियों को देखने आते थे। इनका मुख्य उद्देश्य विभागीय गतिविधियों और योजनाओं से आम जनता को अवगत कराना होता था।

प्रदर्शनियों की रौनक फीकी पड़ गई

लेकिन अब बजट की कमी और विभागों की बेरुखी के कारण 20 में से 10 प्रदर्शनियां भी नहीं लगतीं। जो लगती हैं, वे देखने लायक नहीं होतीं और केवल औपचारिकता के लिए आयोजित की जाती हैं। कई विभाग तो प्रदर्शनी के लिए भूखंड तो आवंटित कर लेते हैं, लेकिन प्रदर्शनियों का आयोजन ही नहीं करते।

जगह तो है, लेकिन प्रस्तुति नहीं

ग्वालियर व्यापार मेले में झूला सेक्टर के पास प्रदर्शनियों के लिए विशेष जगह चिन्हित की गई है। लेकिन यहां केवल नाममात्र की ही प्रदर्शनियां लगती हैं। इनमें बहुत कम सैलानी ही आते हैं क्योंकि इन प्रदर्शनियों में देखने के लिए खास सामग्री नहीं होती।

ये विभाग हैं शामिल

मेले में आमतौर पर कृषि, जनसंपर्क, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पशु पालन विभाग, उद्योग विभाग, नगर निगम, पुरातत्व विभाग, उद्यानिकी, जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, महिला बाल कल्याण विभाग, शारदा महिला मंडल, मत्स्य उद्योग, किसान कल्याण तथा कृषि विभाग जैसी कई विभागीय प्रदर्शनी शामिल होती थीं। इनमें से कई विभाग अब प्रदर्शनी तक नहीं लगाते।

भूतपूर्व समय में कृषि विभाग, बीएसएफ, पुलिस और रेलवे की प्रदर्शनियां सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र हुआ करती थीं। इसके अलावा "नशा मुक्त भारत अभियान" जैसी योजनाओं की प्रदर्शनी भी सैलानियों को आकर्षित करती थीं।

सैलानी भानू शर्मा कहते हैं,

"अब मेले में पहले वाली बात नहीं रही है। एक समय था जब हम प्रदर्शनी ही देखने के लिए जाया करते थे। एक बार में दो या तीन प्रदर्शनियां ही ठीक से देख पाते थे। लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं है।"

सैलानी विजय पांडे बताते हैं,

"जब हम छोटे थे तो माता-पिता के साथ मेला जाते थे। इस मेले का हमें वर्ष भर इंतजार रहता था। कृषि विभाग की प्रदर्शनी में तो ऐसी सब्जियां आती थीं जो कहीं और देखने को नहीं मिलती थीं। अब कई वर्षों से हम मेला देखने नहीं गए हैं।"

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