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छत्तीसगढ़ : सरकार ने ओबीसी की क्रीमीलेयर की सीमा बढ़ाई

Update: 2018-07-28 08:03 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने भी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की क्रीमीलेयर की सीमा बढ़ा दी है। केंद्र सरकार ने ओबीसी का क्रीमीलेयर मापदंड छह लाख सालाना से बढ़ाकर आठ लाख सालाना किया है। केंद्र के समान यहां भी क्रीमीलेयर आठ लाख करने के संबंध में आदेश जारी किया गया है। अब बैंकों, बीमा कंपनियों, केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में जो सीमा निर्धारित है वही राज्य सेवा में भी निर्धारित की जाएगी। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में ओबीसी की 95 जातियां हैं। राज्य की आबादी में इनकी हिस्सेदारी करीब 52 फीसद है। ऐसे में ओबीसी समुदाय राजनीतिक रूप से बेहद प्रभावशाली है।

मिली जानकारी के अनुसार केंद्र की भाजपा सरकार ओबीसी वर्ग को साधने में पहले से लगी है। चुनावी साल में ओबीसी के क्रीमीलेयर की सीमा बढ़ाकर राज्य सरकार भी चुनावी फायदा उठाने के मूड में है। केंद्र सरकार ने जून में सकुर्लर जारी करते हुए सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को क्रीमीलेयर का मापदंड बदलने की जानकारी दी थी। राज्य सरकार ने उस पर इस महीने अमल शुरू किया है।

उल्लेखनीय है कि 1993 में क्रीमीलेयर का मापदंड एक लाख रुपये सालाना था। यानी ओबीसी वर्ग के जिन छात्रों के माता-पिता की सालाना आय एक लाख रुपये या उससे ज्यादा थी उन्हें ओबीसी का आरक्षण नहीं मिल सकता था। बाद में कई चरणों में क्रीमीलेयर की इस सीमा को बढ़ाया गया। वर्ष 2004 में यह सीमा ढाई लाख की गई थी। 2008 में इसे बढ़ाकर साढ़े चार लाख किया गया और 2013 में छह लाख किया गया था। 2017 में इसका फिर से रिवीजन किया गया और अब इसे आठ लाख कर दिया गया। केंद्र सरकार ने एक सितंबर 2017 से आठ लाख की सीमा लागू भी कर दी है। राज्य में इस सीमा को अब बढ़ाया जा रहा है।

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