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भारतीय टीम के तेज गेंदबाजी आक्रमण में तीन 'बाहुबली'

पहली बार भारतीय बल्लेबाजोंं से ज्यादा गेंदबाजों की हो रही चर्चा

Update: 2019-05-20 11:12 GMT

स्पोर्टस डेस्क \ सचिन श्रीवास्तव। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि 2015 में खेले गए विश्व कप के बाद 2019 विश्व कप के लिए भारतीय टीम जब इंग्लैंड और वेल्स के लिए रवाना होगी तो उसके बल्लेबाजों से ज्यादा चर्चा उसके गेंदबाजों की होगी। यह बदलाव एक रात में नहीं हुआ है। इसमें कई वर्ष लगे हैं और कड़ी मेहनत के बाद भारतीय टीम प्रबंधन ने तेज गेंदबाजों का पूल तैयार किया है।

भारतीय कप्तान विराट कोहली के पास अगर जसप्रीत बुमराह के रूप में अंतिम ओवरों में विशेषज्ञ गेंदबाज है तो वहीं मोहम्मद शमी के रूप में ऐसा गेंदबाज भी है जो स्विंग के दम पर बल्लेबाजों को पैर भी नहीं हिलाने देता। इसमें हमें भुवनेश्वर कुमार को नहीं भूलना चाहिए जो शमी की तरह ही स्विंग के उस्ताद हैं। वनडे टीम के लिए कोहली इससे अच्छे तेज गेंदबाजी आक्रमण की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। या यूं कहा जाए कि यह तिकड़ी भारतीय तेज गेंदबाजी आक्रमण के लिए तीन बाहुबली हैं।

भारत के लिए गर्व की बात है कि विश्व कप में टीम की गेंदबाजी उसकी ताकत के रूप में जानी जा रही है। भारत में अभी तक बल्लेबाजों का राज हुआ करता था लेकिन इस टीम के पास बल्लेबाजों के साथ-साथ भारत का अभी तक का सबसे अच्छा तेज गेंदबाजी आक्रमण है। बीते 20-30 साल में, अगर आप भारतीय क्रिकेट का इतिहास देखेंगे तो हमेशा बल्लेबाजों का दबदबा रहा है। आप इसके लिए गेंदबाजों को दोष नहीं दे सकते क्योंकि जो विकेट बनाई जाती थीं वो गेंदबाजों की मददगार नहीं होती थी। पिछले पांच-सात सालों में चीजें बदलनी शुरू हुई हैं। आज हमारे गेंदबाजों के पास तेजी भी है और कौशल भी। कौशल और तेजी का एक साथ होना हमारे तेज गेंदबाजी आक्रमण की विशेष पहचान है। यह एक सपने के सच होने जैसा है। हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि क्रिकेट के विशेषज्ञ आज के दौर में हमारे तेज गेंदबाजों की बात करते हैं। इस तरह की बातें ज्यादा सुनी नहीं जाती थी, लेकिन अब यह भारतीय टीम की ताकत है।

सबसे अधिक चोटिल होते हैं तेज गेंदबाज

तेज गेंदबाजों के लिए सबसे बड़ी चिंता चोट होती है क्योंकि तेज गेंदबाजों को चोटें जल्दी लगती हैं। भारतीय टीम के पास तीन तेज गेंदबाज के अलावा दो पार्टटाइम मध्यम गति के तेज गेंदबाज (हार्दिक पाण्डया और विजय शंकर) मौजूद हैं। ऐसे में इन पांचों गेंदबाजों को मैच दर मैच अपनी फिटनस के साथ-साथ ही गंभीर चोट से बचाव करना होगा। हाल ही में खत्म हुए आईपीएल में खिलाडिय़ों के वर्कलोड मैनेजमेंट को लेकर काफी चर्चा भी हुई थी। इसी बजह से आईपीएल के कुछ मैचों में तीनों तेज गेंदबाजों को आराम देना भी विश्वकप की तैयारी का एक हिस्सा था।

बल्लेबाजों की रहेगी चांदी

इंग्लैंड की सपाट पिचों के मद्देनजर इस विश्व कप के दौरान बल्लेबाजों की चांदी रहेगी जबकि गेंदबाजों की जमकर पिटाई हो सकती है। इस विश्व कप में रनों का अंबार लगने की पूरी उम्मीद है। सपाट पिचों पर तेज गेंदबाजों को मदद न के बराबर मिलती है लेकिन थोड़ा बहुत इंग्लैण्ड के मौसम से तेज गेंदबाजों को अपनी कला से गेंद को स्विंग व रिवर्स स्विंग कराने का मौका मिलेगा। फिर यह कहना गलत नहीं होगा कि जो गेंदबाज अच्छी लेंथ और लाइन पर गेंदबाजी करेगा वह निश्चित सफल होगा।   

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