जीवनदान के लिए आए चार मासूम बच्चे, सरकारी अस्पताल ने दे दिया HIV

सतना के जिला अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई है। थैलेसीमिया से पीड़ित चार बच्चों को एचआईवी पॉजिटिव ब्लड चढ़ाया गया।

Update: 2025-12-16 13:55 GMT

सतनाः मध्य प्रदेश के सतना जिले स्थित सरकारी अस्पताल से बेहद हैरान वाला मामला सामने आया है। ब्लड बैंक की लापरवाही ने चार परिवारों की दुनिया उजाड़ दी है। गंभीर लापरवाही से मासूमों को जानलेवा लाइलाज एचआइवी से संक्रमित कर दिया है। ये चारों मासूम पहले ही खतरनाक और लाइलाज थैलेसीमिया बीमारी से ग्रस्त थे। अब इनकी जिंदगी तबाह कर दी है।

बीमारी से पीड़ित बच्चों के परिजन अस्पताल में थैलेसीमिया बीमारी से लड़ने के लिए रक्त रूपी जीवनदान मांगने आए थे। पर ब्लड बैंक की एक लापरवाही से एचआईवी से संक्रमित रक्त उनकी धमनियों में प्रवाहित कर दिया।

हर महीने लगता है ब्लड

बता दें कि थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को जिंदा रहने के लिए नियमित तौर पर ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत होती है। ब्लड लेने से पहले किसी भी ब्लड डोनर की एचआईवी जांच की जाती है। इसके साथ ही हेपेटाइटिस समेत कई गंभीर बीमारियों की जांच अनिवार्य रूप से होती है। हालांकि सतना ब्लड बैंक ने जो किया वह हैरान करने वाला है। उन्होंने ब्लड लेने से पहले किए जाने वाले सारे प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा दी। बच्चों के एचआईवी वाला ब्लड चढ़ा दिया। अब थेलेसीमिया वाले बच्चे एचआईवी से भी जूझने के लिए मजबूर हैं।

चढ़ाया जाने वाला ब्लड को डोनर से स्वैच्छिक तौर पर लेकर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में अस्पताल प्रबंधन को कुछ बच्चों की स्थिति संदिग्ध लगी तो एचआईवी जांच की गई। जिसमें चार बच्चे संक्रमण से पॉजिटिव पाए गए।

4 बच्चे एकसाथ हुए संक्रमित

लापरवाही की गंभीरता इससे समझी जा सकती है कि यह एक यूनिट रक्त के साथ नहीं हुआ। चार बच्चे संक्रमित हुए हैं। इसका अर्थ है कम से कम चार यूनिट रक्त एचआइवी संक्रमित था। मतलब रक्तदान करने वाले कम से कम चार लोग एचआइवी से ग्रस्त हैं। ब्लड बैंक से गर्भवती महिलाओं सहित अन्य को भी रक्त दिया गया है, जो एक बार के बाद दोबारा लौटकर नहीं आए। आशंका है कि उनमें से भी कुछ को एचआइवी हो गया हो।

रक्तदाता अब तक ट्रेस नहीं हुए

अस्पताल प्रबंधन के समक्ष मामला 4 माह पहले आ चुका था। तब भी वह एचआइवी ग्रस्त रक्तदाताओं को ट्रेस नहीं कर पाया। संबंधित बच्चे पॉजिटिव पाए गए तो तय प्रोटोकॉल के तहत रक्तदाताओं की लाइन की जांच की जानी चाहिए थी। अस्पताल, ब्लड बैंक प्रबंधन, संबंधित एचआइवी प्रबंधन के लिए विशेष रूप से स्थापित आइसीटीसी सेंटर ने ध्यान नहीं दिया। मासूम बच्चों की घटना के बाद जिला कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस ने सीएमएचओ से पूरे मामले पर रिपोर्ट मांगी है।

गौरतलब है कि रक्तदाताओं की चेन लाइन बनाकर आइसीटीसी को स्क्रीनिंग के लिए कई माह पहले ही सौंप दी थी। कई रक्तदाताओं को बुलाकर भी स्क्रीनिंग की, लेकिन अब तक संबंधित एचआइवी पॉजीटिव रक्तदाता ट्रेस नहीं हो सके है।

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