देश के सबसे बड़े उद्योगपति की कुंडली में हैं ये ग्रह योग, कहीं ये आप में भी तो नहीं!…पढ़ें
जब भी भारत की सबसे बड़ी कंपनी के मालिक, सबसे ज्यादा अमीर आदमी या सबसे अधिक कामयाब व्यक्ति की बात आती है तो सबकी जबान पर केवल एक ही नाम हुआ करता है – मुकेश अंबानी। देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी अब तक गैस और पेट्रोलियम के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी सक्रिय रहते हुए देश की अर्थ व्यवस्था में औद्योगिक रूप से उल्लेखनीय योगदान दिया है। ज्योतिषीगण जन्म विवरण के आधार पर अंक शास्त्र और वैदिक ज्योतिष की मदद से आपको उद्योगपति मुकेश अंबानी जन्म कुंडली के बारे में कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं जो आपको भी हैरत में डाल देगी। जानिए, कुंडली में शामिल उन विशेषताओं के बारे में…
जन्मदिन:19 अप्रैल, 1957
अंक शास्त्र अनुसार फलकथन–
वे कारक जो इनकी सफलता में साथी बने
अंक शास्त्र के अनुसार देखें तो मुकेश अंबानी की जन्म तारीख19-04-1957 होने से इसका मूलांक1+9=10=1 होता है जो सूर्य का अंक है। इसके अलावा, इसका भाग्यांक 1+9+0+4+1+9+5+7=36=3+6=9 होता है जो मंगल ग्रह का अंक है। भाग्यांक और मूलांक के ग्रह इनकी साहसिकता और सफलता को दर्शाते हैं। जहां मूलांक 1 सूर्य का अंक तो 9 मंगल का अंक है। अर्थात1+9= 10=1 यानी दोनों का योग करें तो सूर्य का ही अंक आता है। इसके कारण इनके भीतर एक गजब का आत्मविश्वास देखने को मिलता है। बड़े जोश से काम करते हैं। इनकी जन्म की तारीख पर यदि आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि इसमें दो बार सूर्य का अंक, दो बार मंगल का अंक और एक बार बुध और एक बार केतु का अंक आता है। इनके सामूहिक संयोजन से मंगल का अंक मिलता है। यही कारण है कि ये भीषण परिश्रम करने से भी नहीं चूकते। दूरदृष्टि और कुशाग्र बुद्धि इसमें इनका साथ देती है। इन ताकतों की वजह से मुकेश अंबानी भारत के सबसे धनाड्य व्यक्ति और बड़े उद्योगपति हैं।
कॉन्फ़िडेंस के बल पर विजयी
एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी की कुंडली को जांचने पर मालूम होता है कि सूर्य उच्च राशि में है। इस पर गुरु की दृष्टि है। इससे आत्मविश्वास से युक्त होकर अपना काम करते हैं और सुदृढ़ फैसले लेते हैं। चंद्र पर गुरु की दृष्टि गजकेसरी योग जैसा फल देती है। भाग्येश गुरु की शुक्र, बुध और सूर्य पर दृष्टि होने से इनको काम–धंधे में एक अच्छी सफलता मिलेगी। व्यवसाय में इनके द्वारा लिए गए फैसलों के परिणाम दूरगामी सिद्ध होंगे। वहीं शनि व मंगल की प्रतियुति का बनना एक संघर्षदायक स्थिति की ओर इशारा कर रहा है। इन सब वजहों से ये बिजनेस में काफी मेहनत और प्रतिस्पर्धियों से संघर्ष करते हुए आगे आए हैं। मंगल और शनि पर गुरु की स्क्वायर दृष्टि भी पॉजिटिव रिजल्ट देती है।
गोचर के ग्रहों की स्थिति
मुकेश अम्बानी की कुण्डली और गोचर के ग्रहों की स्थिति का आकलन करने पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सूर्य व बुध 12वें भाव की मीन राशि में भ्रमण कर रहे हैं। मंगल और शनि जन्म के चंद्र और धनु राशि के ऊपर से होकर भ्रमण कर रहे हैं। गोचर का शुक्र मेष राशि में जन्म के सूर्य, बुध, शुक्र और केतु के ऊपर से भ्रमण करते हैं। गोचर का राहु चौथे स्थान और कर्क राशि में से और गोचर का केतु दशम स्थान और मकर राशि से भ्रमण करता है। वहीं गोचरवश गुरु सातवें स्थान में जन्मस्थ राहु के ऊपर से भ्रमण करता है।
सोर्स - गणेशास्पीक्स (पढने के लिए क्लिक करें )