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गंगा दशहरा पर श्रद्धालुओं ने ली आस्‍था की डुबकी, देखें तस्वीरें

Update: 2019-06-12 04:59 GMT

नई दिल्ली। आज गंगा दशहरा है। इस पवित्र अवसर पर गंगा घाटों पर हजारों लोगों ने गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाई है। हरिद्वार, वाराणसी, कानपुर में गंगा घाटों पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। गंगा दशहरा पर गंगा में स्नान और उसके पान दान करने का विशेष महत्व होता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक हर साल ज्‍येष्‍ठ माह की शुक्‍ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरामनाया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार गंगा दशहरा के दिन गंगा का अवतार हुआ था। गंगा दशहरा को पापों का नाश करने वाला कहा जाता है। हिंदू परंपरा में गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान करने का विशेष धार्मिक महत्व है। इस दिन करोड़ों लोग गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य का लाभ कमाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन आप जिस भी चीज का दान करें उसकी संख्या 10 होनी चाहिए।

पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि भगीरथ ऋषि ने अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए कठोर तपस्‍या की थी और उसके बाद अपने अथक प्रयासों के बल पर मां गंगा को धरती पर लाने में सफल हुए, लेकिन मां गंगा का वेग इतना अधिक था कि अगर वह सीधे धरती पर आतीं तो धरती पाताल में ही चली जातीं। भक्‍तों के विनती करने पर भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में भर लिया और उसके बाद मां गंगा कैलाश से होते हुए धरती पर पहुंची और भगीरथ के पूर्वजों का उद्धार किया।

गंगा दशहरा पर सुबह 5.45 से शाम 6.27 तक दशमय तिथि होगी इस दौरान पूजा और दान दोनों ही बेहद शुभ रहेगा। लेकिन स्नान के लिए प्रात: काल 4.15 से सुबह 5.25 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त है जिसमें स्नान करना ज्यादा शुभ होगा। इस दौरान गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। इसे ऋषि स्नान भी कहते हैं। जबकि सुबह से सूर्य अस्त तक भी श्रद्धालु स्नान कर पुण्य लाभ कमा सकते हैं।

-अगर घर के करीब गंगा नहीं हैं तो किसी भी नदी या तालाब में स्नान करें या घर में ही स्नान कर गंगा जी का ध्यान करें।

- स्नान करते वक्त नदी में 10 बार गोते लगाएं।

- 5 पुष्पांजलि अर्पित करें और भगीरथ का नाम जपते हुए मंत्र उच्चारण करके पूजन करें।

- गंगा दशहरा 10 पापों का नाश करने वाला होता है इसलिए पूजा में 10 प्रकार के फूल, दशांग धूप, 10 दीपक, 10 प्रकार के नैवेद्य, 10 तांबूल एवं 10 फल का प्रयोग करें।

- 10 ब्राह्मणों को 16 मुट्ठी जौ और तिल दक्षिणा में दें। सत्तू का भी दान करें।

गंगा दशहरा पर स्नान के दौरान 'ऊँ नम: शिवाय नारायण्यै दशहराय मंत्र का जप करना चाहिए। इसके बाद ' ऊँ नमो भगवते एं ह्रीं श्रीं हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय स्वाहा मंत्र का भी जप करें।

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