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मोहब्बत में आई दरार तो युवती ने उठाया ये कदम

Update: 2021-09-22 14:44 GMT

नईदिल्ली/वेब डेस्क। राजधानी दिल्ली में महिलाओं के साथ होने वाले अपराध में वर्ष 2020 में मामूली कमी आई है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि महिलाओं के साथ होने वाली 95 प्रतिशत घटनाओं को उनके ही परिचितों ने अंजाम दिया। इनमें सबसे ज्यादा दुष्कर्म की एफआईआर शादी का झांसा और लिव इन रिलेशन टूटने के चलते दर्ज हुए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों ने दावा किया गया है। वहीं पांच प्रतिशत वारदातों में ही आरोपित पीड़िता से अंजान थे।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को लेकर पुलिस बेहद गंभीरता से काम करती है। इन्हें रोकने के लिए उन्हें आत्मरक्षा के गुर सिखाने के साथ ही जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन पुलिस ऐसी वारदातों को रोकने में पूरी तरह से नाकाम रहती है, जहां आरोपित पीड़ित के जानकार हैं।

एनसीआरबी के आंकड़े की माने तो कहीं पर परिवार के सदस्य तो कहीं पर पड़ोसी ने दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया है। 40 प्रतिशत दुष्कर्म के मामले शादी का झांसा देकर या लिव-इन के जरिये अंजाम दिए गए हैं। वहीं 40 फीसदी वारदातों में आरोपित पारिवारिक दोस्त, पड़ोसी या एम्प्लायर थे। वर्ष 2020 में हुई 997 दुष्कर्म की वारदातों में केवल 48 वारदातों में आरोपित पीड़िता से अंजान थे।

दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी वेदभूषण ने बताया कि दिल्ली या किसी भी मेट्रोपोलिटन शहरों में दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ रही हैं। बड़े शहरों में लिव इन का चलन बढ़ा है। दोनों अपनी मर्जी से साथ में रहते हैं, लेकिन जब उनके बीच संबंध टूटते हैं तो पुलिस में दुष्कर्म की शिकायत हो जाती है। इसी तरह शादी का झांसा देकर भी दुष्कर्म करने के मामलों की संख्या बहुत ज्यादा होती है। उन्होंने बताया कि इस तरह के मामलों में कई झूठे मुकद्दमे भी दर्ज होते हैं।

ऐसे मामलों में दोनों अपनी मर्जी से लंबे समय तक साथ में रहते हैं और बाद में रेप का मामला दर्ज हो जाता है। इस तरह के मामलों में कोर्ट से आरोपी को सजा नहीं होती। आमतौर पर इनमें समझौता होता है या लड़कियां अपने बयान से पीछे हट जाती हैं। पूर्व एसीपी वेदभूषण ने बताया कि कई बार दो प्रेमी जोड़ा शादी तो करना चाहता है, लेकिन आर्थिक कारण, सामाजिक कारण या जाति की वजह से शादी नहीं होती। इस तरह के मामलों में भी दुष्कर्म की एफआईआर हो जाती है।

कई बार हनी ट्रैप के मामले भी सामने आते हैं। आज कोर्ट इस तरह के मामलों को अच्छे से परखने लगी है। इसलिए दुष्कर्म के मामलों में सजा का प्रतिशत बेहद कम रहता है। उन्होंने बताया कि इस तरह के मामलों से बचने के लिए परिवार को अपने बच्चों को समझाना चाहिए। उन्हें जागरूक करते हुए बताया जाना चाहिए कि क्या अच्छा है क्या बुरा है। बच्चे जागरूक रहेंगे तभी ऐसी घटनाएं कम होंगी।

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