नियंत्रण रेखा पर दोनों ओर से पलायन जारी
हमलों के बाद सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे स्थानीय रहवासी
नई दिल्ली। पुलवामा में अतंकी हमले के बाद नियंत्रण रेखा के इस पार और उस पार यानि पाक अधिकृत कश्मीर में लोगों का पलायन जारी है। नियंत्रण रेखा के पास के सटे गांवों में रहने वाले पाकिस्तानी लोग डर के कारण अपने घरों से पलायन करते हुए मुजफ्फराबाद में शरण लेने को मजबूर हैं। कोई दस हजार लोग वहां बने विस्थापित केद्रों में शरण लिए हुए हैं। यही नजारा कुछ जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर के पास के गांवों का है जहां से लागे समीपवर्ती गावों में अपने रिश्तेदारों के घरों में शरण लेने को मजबूर हैं। पलायन का इस तरह का सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा। त्वरित समाधान न निकलने की दिशा में पलायन करने वालों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है।
लोग युद्ध नहीं ंचाहते। उन्हें उम्मीद है कि शांति का कोई रास्ता़ निकाल लिया जाएगा लेकिन अभी भी जंगी जहाजों से निकलने वाली डरावनी अवाजों ने उनकी नींद व चैन छीन लिया है। जब तक शांति का पैगाम नहीं आता तब तक वे इन घरों में नहीं रहना चाहते। भारत-पाकिस्तान के सीमावर्ती इन इलाकों में बच्चों पर सबसे बड़ा प्रतिकूल असर पड रहा है। फायरिंग से निकलने वाले सैल से बच्चे खेलते हैं। शिक्षा का माहौन न होने के कारण मजबूरन बच्चे या तो फौज में या पुलिस में चले जाते हैं। उनके सामने कोई विकल्प नहीं है। वे बिना मार्गदर्शन के गलत रास्तों पर भटकते नजर आ रहे हैं। राज्य के 18 से अधिक स्थानीय नेताओं पर लगा प्रतिबंध के बाद हलचल मच गई है।
सरकार के हालिया बयान को लेकर लोग आशान्वित हैं कि सुरक्षा के मद्देनजर बंकर जरूर बनें लेकिन अकेले बंकरों के बन जाने से तो समस्या का समाधान नहीं हो जाता। गोलावारी के कारण पलायन करते लोग शरणस्थलों में रूकने को मजबूर होते हैं जहां पंजीयन नहीं हो पाता उस हालात में लोग अपने नजदीकी या रिश्तेदारों के घर चले जाते हैं। इस बीच अच्छी खबर यह है कि दोनों देशों के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस के दोबारा चालू होने से कुछ नई उम्मीदें बंधी है।
उधर, जमात-ए-इस्लामी पर लगे प्रतिबंध के बाद स्थानीय नेता इस प्रतिबंध के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इन नेताओं का कहना है कि वे अपने हितों के लिए जो भी काम कर रहे थे, वे किसी तरह गलत नहीं थे। वे इस प्रतिबंध के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने की बात कर रहे हैं। सरकार इस मामले में अपने फैसले पर अडिग है। राज्य के राज्यपाल सत्यपाल मलिक कहते हैं विचारधारा खत्म तो नहीं होगी पर इस प्रतिबंध से जमात की गतिविधियों कुछ कमी जरूर आएगी।