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अब एफआईआर में नहीं प्रयोग होंगे उर्दू और फारसी के शब्द

Update: 2019-11-27 09:30 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस अब एफआईआर में उर्दू और फारसी के शब्दों का प्रयोग नहीं करेगी। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद आजादी से पहले प्रचलित ऐसे शब्दों का इस्तेमाल न करने का फैसला किया गया है। इनकी जगह सामान्य बोलचाल में प्रयोग होने वाले हिंदी अथवा अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग किया जाएगा। इस बारे में पुलिस मुख्यालय से आदेश जारी किया गया है। दिल्ली पुलिस के एडिशनल प्रवक्ता अनिल मित्तल ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह निर्णय किया गया है। जल्द ही एफआईआर में अब सामान्य बोलचाल में आने वाले शब्दों का प्रयोग किया जाएगा।

आजादी के पहले से दिल्ली पुलिस एफआईआर दर्ज करते समय उर्दू और फारसी शब्दों का इस्तेमाल करती रही है। आजादी के बाद भी यह सिलसिला जारी रहा। यह शब्द आम लोगों को समझ में नहीं आते हैं। कई बार इन शब्दों का इस्तेमाल एफआईआर से हटाने के लिए पहल हुई, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इन शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए विशाल गोयल ने हाईकोर्ट में एक पीआईएल दायर की थी।

पीआईएल में यह मांग की गई थी कि ऐसे शब्दों का एफआईआर में प्रयोग न किया जाए जिनका मतलब आम लोगों को नहीं पता है। इनकी जगह आसान हिंदी या अंग्रेजी के शब्द इस्तेमाल किए जा सकते हैं। पीआईएल में यह भी कहा गया था कि पुलिस अधिकारी आम लोगों के लिए काम करते हैं। पुलिस ऐसे लोगों के लिए काम नहीं करती जिनके पास उर्दू, हिंदी या फारसी भाषा की पीएचडी है। इसलिए एफआईआर दर्ज करते समय उसमें सामान्य बोलचाल की भाषा या शिकायत की भाषा ही दर्ज करनी चाहिए।

अगस्त में हाईकोर्ट ने पीआईएल की मांग को स्वीकार करते हुए दिल्ली पुलिस को निर्देश दिए थे कि वह इस पर काम करे। इस आदेश को ध्यान में रखते हुए डीसीपी राजेश देव ने यह निर्देश दिए हैं कि एफआईआर दर्ज करते समय उसमें उर्दू और फारसी शब्दों का इस्तेमाल न किया जाए। यह शब्द रोजाना दर्ज होने वाली एफआईआर में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इनकी जगह सामान्य हिंदी या अंग्रेजी के शब्दों को रखा जाए। दिल्ली पुलिस के एडिशनल प्रवक्ता अनिल मित्तल ने बताया कि सभी 15 जिलों के थानों में निर्देश दिया गया है कि वह आम बोलचाल वाले शब्दों का इस्तेमाल करे।  

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