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भगवान जगन्नाथ यात्रा जनभावनाओं का प्रकटीकरण

आस्था व परंपरा पर पसीज गया शीर्ष न्यायालय

Update: 2020-06-23 01:00 GMT

नई दिल्ली। ओडिसा में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालने की उच्चतम न्यायालय से मंजूरी मिलने के बाद देशभर में हर्ष व उल्लास का माहौल है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूरे देश को बधाई देते हुए इस मंजूरी को जनभावना की जीत बताया है। देश की शीर्ष अदालत ने जनभावनाओं का सम्मान करते हुए परंपरा का निर्वाह करने में कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दे दी। विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा आज ही निकलनी है।

गौरतलब है कि जगन्नाथ रथयात्रा प्रत्येक वर्ष पूरे शिद्दत के साथ निकाली जाती है और इस यात्रा के लाखों श्रद्धालु खुद गवाह बनते हैं। लेकिन कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के चलते इस बार यात्रा खटाई में पड़ गई थी। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने 23 जून को निकलने वाली जगन्नाथ रथयात्रा पर रोक लगा दी थी। शीर्ष न्यायालय ने कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए एक स्थान पर लाखों लोगों के जमा होने की अनुमति नहीं दी थी।

रथयात्रा की निरंतरता को बनाए रखने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धालुओं की भावनाओं को समझा। इसके लिए प्रधानमंत्री की सलाह पर अमित शाह ने कड़ी दर कड़ी जोड़ते हुए राह आसान करवाई। गजपति महाराज जी (पुरी के राजा) से लेकर पुरी के शंकराचार्य और फिर सॉलिसिटर जनरल से भी बातचीत की। और अंत में तमाम बाधाओं को पार करते हुए इस पर आम सहमति बनी।

सोलह याचिकाएं की गई दाखिल

इस रथयात्रा को निकाले जाने को लेकर उच्च्तम न्यायालय में 16 याचिकाएं दाखिल की गईं थीं। इसके बाद मामले में खुद मुख्य न्यायाधीश एसए बोवडे ने पहल करते हुए तीन न्यायाधीशों सीजेआई एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की एक पीठ गठित की। शीर्ष न्यायालय में दायर की गई याचिकाओं में कहा गया था कि जगन्नाथ रथयात्रा सदियों पुरानी परंपरा है, जिसमें करोड़ों लोगों की आस्था है। इस यात्रा को सिर्फ पुरी में ही निकालने की इजाजत दी जाए।

भाजपा की ओर से पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी उच्च्तम न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। याचिका में उन्होंने कहा था कि भगवान जगन्नाथ के उन 800 सेवायतों के माध्यम से भक्तों की मंडली के बिना रथयात्रा को निकालने की अनुमति दी जा सकती है। आतंकी मंसूबों पर पानी फेरने खुफिया एजेंसियां चाक-चैबंद


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