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भाजपा संगठन में बदलाव की कवायद

जेपी नड्डा भाजपा के निर्विरोध अध्यक्ष 20 जनवरी को हो सकती है आधिकारिक घोषणा?

Update: 2020-01-16 14:23 GMT

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ही होंगे, यह तय हो चुका है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह माना जा रहा था कि उनके अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा चुनाव बाद की जाए लेकिन यह संगठन का अंदरूनी मामला है और इसका दिल्ली चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है, सो संभव है कि 20 जनवरी को इसकी आधिकारिक तौर पर घोषणा कर दी जाए। पिछले साल नड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था तभी तय हो गया था कि वे पार्टी के अध्यक्ष बनेंगे। पार्टी के संगठन चुनावों के चुनाव अधिकारी राधामोहन सिंह दिल्ली में हैं और राज्यों के संगठन चुनाव प्रकिया को तेजी से निपटा रहे हैं। कुछ राज्यों के संगठन चुनाव के बाद जल्द ही राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा की जानी है।

जेपी नड्डा अपनी नई टीम में किन चेहरों को शामिल करेंगे, इसको लेकर चर्चा है। इस बात की भी चर्चा है कि नड्डा अलग से अपनी टीम बनाएंगे या फिर शाह की ही टीम को आगे बढा़एंगे? आमतौर पर भाजपा में नेतृत्व बदलता है तो ज्यादा फेरबदल नहीं किया जाता। फिर भी पार्टी महासचिवों और प्रवक्ताओं में फेरबदल की बात की जा रही है। वैसे 2014 में अमित शाह जब अध्यक्ष बने थे तब उन्होंने भी राजनाथ की टीम को आगे बढ़ाया था। पार्टी में महासचिव सबसे ज्यादा विश्वसनीय चेहरे होते हैं। भूपेंद्र यादव इस समय अमित शाह के बेहद करीबी माने जाते हैं और वे बिहार के प्रभारी हैं। बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव को देखते हुए उनकी जिम्मेदारी बरकरार रहने वाली है। इसी तरह पश्चिम बंगाल में चुनाव के चलते वहां के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय की स्थिति भी कमोवेश ऐसी ही है। पार्टी महासचिव राम माधव पूर्वाेत्तर राज्यों के मामले देखते रहेंगे। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भरोसा हासिल है। इसलिए लगता नहीं कि उनकी जिम्मेदारी में शायद ही कोई बदलाव किया जाए।

नड्डा की नई टीम में अपनी-अपनी जगह बनाने पार्टी के कई नेता सक्रिय हुए हैं। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में विस्तार बजट से पूर्व करते हैं तो कुछ मंत्रियों के विभाग बदले जाने और कुछ को संगठन में भेजे जाने की चर्चा है। बाकी महासचिवों में अनिल जैन, सरोज पाण्डेय, अरूण सिंह और मुरलीधर राव में किसी की जिम्मेदारी बदली जा सकती है। जिन राज्यों में भाजपा सत्ता से बाहर हुई वहां के मुख्यमंत्री रहे नेताओं को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया है फिर संभव है कि राष्ट्रीय सचिवों की टीम में नए चेहरे जोड़े जाएं। 

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