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प्रधानमंत्री की मुख्यमंत्रियों से चर्चा, कहा - धर्मगुरु अपनों को सोशल डिस्टेंसिंग समझाएं

Update: 2020-04-02 11:00 GMT

नई दिल्ली/मुंबई। कोरोना वायरस की वजह से देश में पैदा हुए हालात पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्रियों से कहा कि अब अगले कुछ हफ्तों तक टेस्टिंग, ट्रेसिंग, आइसोलेशन और क्वारंटीन पर फोकस रहना चाहिए ताकि वायरस के फैलाव को रोका जा सके। इस दौरान उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों से अपील की कि वे धर्मगुरुओं से बोलें कि वे अपने-अपने समुदाय के लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में समझाएं और धार्मिक आयोजनों में भीड़ से बचें।

पीएम मोदी ने कहा, 'कोरोना वायरस ने हमारी आस्था, हमारी परंपरा, हमारे विश्वास, हमारे विचारधारा इन सभी पर हमला बोला है। इसलिए हमें अपनी आस्था, हमारे पंथ, हमारी विचारधारा को बचाने के लिए सबसे पहले कोरोना वायरस को परास्त करना पड़ेगा। आज आवश्यकता है कि सभी मत, पंथ, विचारधारा के लोग एकजुट होकर कोरोना महामारी को पराजित करें। मेरा आग्रह है कि राज्यस्तर पर आप समाज के गणमान्य व्यक्तियों, सभी संप्रदायों के धर्मगुरुओं की मीटिंग बुलाकर उनसे आग्रह करें कि वे अपने-अपने अनुयायियों को, अपने मत, पंथ के लोगों को, अपनी विचारधारा के लोगों को इस लड़ाई में भागीदार बनने के लिए, सहयोग करने के लिए समझाएं। उसका नेतृत्व करें। इस काम के लिए राज्य स्तर पर, जिला स्तर, शहर स्तर पर, ब्लॉक स्तर पर और यहां तक कि थाने स्तर पर भी ऐसे समाज के धर्मगुरुओं की मीटिंग तत्काल कर लेनी चाहिए।'

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के कार्यालय ने गुरुवार को बताया कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान सीएम उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी को सुझाव दिया कि सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को धार्मिक नेताओं से बातचीत करनी चाहिए। ठाकरे ने सुझाव दिया कि धार्मिक नेताओं से कहा जाना चाहिए कि वे बड़ी भीड़ इकट्ठी करने से दूरी बनाएं। इस सुझाव को प्रधानमंत्री मोदी ने स्वीकार किया और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील की कि वे सोशल डिस्टेंसिंग और धार्मिक आयोजनों में भीड़ न हो इसके लिए धर्म गुरुओं का सहयोग लें।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ठाकरे की उस बात का भी समर्थन किया कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान नागरिकों को अच्छे मेंटल हेल्थ में रहने की जरूरत है। वीडियो कॉन्फ्रेंस में महाराष्ट्र से मुख्यमंत्री ठाकरे के अलावा स्वास्थ्य मंत्री राजेश तोपे, गृह मंत्री अनिल देशमुख, पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे और सीनियर अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि अब कोरोना वायरस के मरीजों के लिए अलग और खास अस्पतालों को सुनिश्चित करने की जरूरत है। पीएम मोदी ने साथ में यह भी कहा कि जब लॉकडाउन खत्म होगा, उसके बाद लोग बड़ी तादाद में बाहर न निकलने लगे, इसके लिए साझा रणनीति की जरूरत है।

मुख्यमंत्रियों से धर्म गुरुओं से बात करने संबंधी प्रधानमंत्री मोदी की अपील इस मायने में काफी अहम है कि कुछ जगहों पर लोग सहयोग के बजाय स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला कर रहे हैं। इंदौर से लेकर देश के तमाम हिस्सों से इस तरह की तस्वीरें आ रही हैं।

इसके अलावा तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज में पिछले महीने हुए जलसे में हिस्सा लेने वाले लोग कोरोना वायरस के सबसे बड़े कैरियर के रूप में उभरे हैं। सभी राज्य अपने-अपने यहां के ऐसे लोगों की शिद्दत से तलाश करने में जुटे हुए हैं, जो निजामुद्दीन मरकज से लौटे हैं। ऐसे ही लोगों की तलाश के दौरान मध्य प्रदेश, बिहार समेत देश के कई हिस्सों में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की टीमों पर हमले हुए हैं।

प्रधानमंत्री मोदी भले ही मुख्यमंत्रियों से धर्म गुरुओं का सहयोग लेने की अपील कर रहे हैं, लेकिन तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना मुहम्मद साद जैसे धार्मिक नेता ही अपने गैरजिम्मेदार रवैये से हजारों लोगों की जान खतरे में डाल दी है। निजामुद्दीन मरकज को खाली कराने की दिल्ली पुलिस की बार-बार अपील के बाद मौलाना ने जिद्दी रुख अपनाया। और तो और एक वायरल ऑडियो में मौलाना लोगों से मस्जिद आने की अपील करता रहा। ऑडियो क्लिप में मौलाना यह कहते हुए सुना जा रहा है कि अगर मस्जिद आने से मौत होती है तो इसके लिए मस्जिद से बेहतर कोई और जगह नहीं हो सकती।

दिल्ली पुलिस ने उसके खिलाफ केस दर्ज कर लिया है लेकिन वह फरार है। तबलीगी जमात की वजह से देश में कोरोना पॉजिटिव केसों का आंकड़ा बहुत तेजी से बढ़ा है। जमात से जुड़े 10 से ज्यादा लोगों की अब तक मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग इस खतरनाक वायरस के संक्रमण का शिकार हो चुके हैं।

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