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अब समाज को करना होगा जनमत निर्माण का काम : अरूण कुमार

राष्ट्रीयता की सोच रखकर मतदान करने जाएं, देश की चाल और चरित्र बदल जाएगा दिल्ली में 12 मई को है मतदान

Update: 2019-05-04 17:23 GMT

दिल्ली। लोकसभा चुनाव-2019 राष्ट्रीयता के परिप्रेक्ष्य में बेहद महत्वपूर्ण है, जो देश की दिशा और दशा तय करेगा। 12 मई या आने वाले मतदान के दिनों में आप मतदान करने जरूर जाएं क्योंकि आपका एक वोट देश की तकदीर बदलने वाला साबित हो सकता है। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख अरूण कुमार ने कही। वे शनिवार को यहां पूर्व सैनिकों के साथ बातचीत पर आधारित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। श्री अरूण कुमार ने कहा कि 2004 से 2014 के बीच यूपीए सरकार ने जो पाप किए उससे पीड़ित जनता ने राष्ट्रीय सरकार को प्रचंड बहुमत देकर देशभर में राष्ट्रीयता की अलख जगा दी। अब जागरूक मतदाताओं का काम है कि वह राष्ट्रविरोधी ताकतों को सबक सिखाएं। उन्होंने 2019 के चुनाव को परिवर्तनकारी बताया। श्री अरूण कुमार ने कहा कि राष्ट्रहित में जनमत निर्माण का कार्य दल नहीं समाज को करना होगा। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि इस नाजुक मोड़ पर सावधानी बरतते हुए देश के भाग्य निर्माता बनिए। सत्ता या विपक्ष से पांच साल का हिसाब लीजिए। विपक्ष से पूछिए, क्या पांच साल उन्होंने विपक्ष की भूमिका निभाई?

पूर्व सैनिकों के साथ मंच साझा करते हुए श्री अरूण कुमार ने कहा कि राष्ट्र की सोच रखकर आप मतदान केंद्र पर जाएं तो देश की चाल और चरित्र ही बदल जाएगा। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद जब देश ने दलीय व्यवस्था स्वीकार की तब सवाल उठे थे कि क्या दलीय व्यवस्था इस संघीय ढ़ांचे में सफल हो पाएगी? क्या ये दल आगे चलकर समाज निर्माण का काम नहीं करने लग जाएंगे? तत्कालीन परिवेश में उठाए गए सवाल आज तार्किक सिद्ध हो रहे हैं। राजनीतिक दल समाज निर्माण के बजाए जाति निर्माण करने में लगे हैं। वे निज स्वार्थोें के चलते देश को कमजोर बनाने की कोशिशों में लगे हैं। ऐसे में जागरूक मतदाता अगर आगे नहीं आए तो ये शक्तियां फिर से देश को बांटने में सफल हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी और दायित्व के नाते हम सभी का नैतिक उद्देश्य यह बने कि हमस ब मतदान केंद्र तक जरूर जाएं। इसके लिए चाहे भोजन या जलपान बाद में करें लेकिन मतदान पहले। उन्होंने कहा कि 2014 का चुनाव जनता ने लड़ा था। 2019 का चुनाव उन ताकतों के खिलाफ है जो देश को कमजोर करना चाहती हैं।

कार्यक्रम में उपस्थित पूर्व सैनिक अधिकारियों ने अपने विचार रखे। इन सैनिकों में ज्यादातर राष्ट्रभक्त जवान थे जो देश की सेवा में अपनी भूमिका को बनाए रखने के लिए नए-नए सुझाव दे रहे थे। शिक्षा में व्यापक स्तर पर किए जाने वाले बदलाव पर जोर दिया गया। खुद को अति विशिष्ट समझने वाले लोग मतदान केंद्रों पर नहीं निकलते, इस पर गहन चिंतन व इसका समाधान खोजने पर विचार व्यक्त किए गए। 

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