भ्रष्टाचार की गिरफ्त में विश्वविद्यालय, राज्यपाल ने जताई चिंता
राज्यपाल ने कुलपतियों को दिए अंकुश लगाने के निर्देश
राजलखन सिंह/ग्वालियर। शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले विश्वविद्यालय अब भ्रष्टाचार का अड्डा बनते जा रहे हैं। कुलपति व शिक्षकों की नियुक्तियों से लेकर खरीद-फरोख्त, छात्रों को पास कराने सहित अन्य मामलों में भ्रष्टाचार को अधिक महत्व दिया जा रहा है। यही वजह है कि भ्रष्टाचार के चलते विश्वविद्यालयों की साख पर भी बट्टा लग रहा है। राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने भी माना है कि विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं। राजभवन में हुई परिचर्चा के बाद राज्यपाल ने कुलपतियों को जो पत्र लिखा है, उसमें स्पष्ट रूप से कहा है कि विश्वविद्यालयों में फैले भ्रष्टाचार को प्रमुखता से रोका जाए। पिछले माह मध्यप्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने राजभवन में आयोजित दो दिवसीय परिचर्चा के उपरांत भ्रष्टाचार को महत्वपूर्ण बिंदु के रूप में शामिल किया है।
शिक्षा, शोध की गुणवत्ता एवं रोजगारमूलक कार्यक्रमों के संबंध में आयोजित परिचर्चा में सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति, विषय विशेषज्ञ एवं विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया था। संभवत: यह पहला अवसर है, जब उच्च शिक्षा से संबंधित राजभवन में आयोजित किसी भी बैठक में भ्रष्टाचार को महत्वपूर्ण बिंदु के रूप में शामिल किया गया है। संस्था के कार्यों में गति, पारदर्शिता एवं तकनीकी सहायता से भ्रष्टाचार परखने के लिए समस्त विश्वविद्यालयों के कुलपति को पत्र लिखकर राज्यपाल ने निर्देशित किया है कि विश्वविद्यालय में सभी विभागाध्यक्षों के साथ चर्चा करें और दिए गए सुझावों के अनुसार कार्य करने की कार्रवाई प्रारंभ करें। खासकर भ्रष्टाचार के मुद्दे को गंभीरता से लें और भ्रष्टाचार को लेकर जिस तरीके से संस्थाओं की साख पर बट्टा लग रहा है, उसे सुधारने का प्रयास करें। इस संबंध में समस्त विश्वविद्यालयों को हर दो माह में पुनरीक्षण कर समय-समय पर राजभवन को जानकारी प्रेषित करना होगी। छह माह बाद पुन: बैठक होगी, जिसमें कार्रवाई एवं प्रगति पर चर्चा होगी।
भ्रष्टाचार के मामलों में कुलपति व शिक्षक जा चुके हैं जेल
पूरी व्यवस्था को दीमक की तरह खोखला करने वाले भ्रष्टाचार से अब देश के शैक्षणिक संस्थान भी अछूते नहीं रहे हैं। कुलपतियों एवं शिक्षकों की नियुक्तियों में घोटाले से लेकर छात्रों की छात्रवृत्ति हड़पने और अतिथि शिक्षकों के शोषण जैसे बहुत से मामले सामने आने के कारण विश्वविद्यालयों की छवि धूमिल हो रही है। डॉ. हरिसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलपति एवं शिक्षकों को तो शिक्षक भर्ती घोटाले में जेल तक जाना पड़ा था। अभी हाल ही में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर में ए.के. प्रोफेसर ने तो गुरु-शिष्य परंपरा को भुलाते हुए अपनी शिष्या से ही रिश्वत ले ली। राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर की कुलपति प्रो. लवली शर्मा के खिलाफ लोकायुक्त, आर्थिक अपराध
भ्रष्टाचार के मामलों में कुलपति व शिक्षक जा चुके हैं जेल : अन्वेषण ब्यूरो एवं राजभवन में भ्रष्टाचार व आर्थिक अनियमितता की शिकायतों के बाद राज्यपाल ने कुलपति को बर्खास्त कर दिया था। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विवि अमरकंटक में भी शिक्षक भर्ती में घोटाले की जांच चल रही है। जीवाजी विवि में भी कुलपति एवं शिक्षकों की नियुक्तियों का मामला न्यायालय में चल रहा है। भ्रष्टाचार एवं आर्थिक अनियमितताओं के इस तरह के प्रकरणों ने शिक्षा के मंदिरों की विश्वसनीयता पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। ऐसे में कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल द्वारा प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में भ्रष्टाचार को प्रमुख बिंदु के रूप में शामिल करना एक सराहनीय पहल माना जा सकता है। बशर्ते यह कवायद सिर्फ कागजों में ही सिमटकर न रह जाए।
यूजीसी के निर्देश, भ्रष्टाचार के प्रति लाएं अवेयरनेस : केन्द्रीय सतर्कता आयोग 29 अक्टूबर से 3 नवम्बर तक विजीलेंस अवेयरनेस वीक 2018 का आयोजन कर रहा है, जिसकी थीम भ्रष्टाचार मिटाओ, नया भारत बनाओ है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव प्रो. रजनीश जैन ने इसी माह की 16 अक्टूबर को विजीलेंस अवेयरनेस वीक मनाने के लिए विश्वविद्यालयों के कुलपति सहित देश के सभी शैक्षणिक संस्थाओं को पत्र भेजा है।
विशेषज्ञ की राय
प्रो. पी.एस. बिसेन, पूर्व कुलपति, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर
प्रश्न: राज्यपाल के आदेश को आप किस नजरिए से देखते हैं?
उत्तर: विवि में अयोग्य कुलपतियों की नियुक्ति हो रही है, शिक्षकों की कमी है, स्टाफ को निर्माण कार्य में लगा रखा है, इसलिए भ्रष्टाचार बढ़ा है। इस तरह के आदेशों से भ्रष्टाचार नहीं रुकेगा। इसके लिए शिक्षकों को फ्री करना होगा और वह शिक्षण कार्य ही कराएं। स्टाफ की नियुक्ति करना होगी और नए पाठ्यक्रम शुरू करने होंगे।
प्रश्न: विश्वविद्यालयों को दीमक की तरह खोखला करने वाले भ्रष्टाचार पर अंकुश कैसे लगेगा?
उत्तर: भ्रष्टाचार आज नासूर बन गया है। विश्वविद्यालयों में जब तक ईमानदारी एवं अच्छी क्षवि वाले कुलपति एवं अन्य अधिकारियों की नियुक्ति नहीं होगी, तब तक विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करना लगभग असंभव है। अधिकारी-शिक्षकों को निर्माण कार्य से दूर रखना होगा।
प्रश्न: शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए क्या करना होगा?
उत्तर: विवि के मुखिया, शिक्षकों को आज के दौर की तकनीकी सुविधाएं, अनुसंधान के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध कराना होगा। शिक्षकों को हर काम से मुक्त करना होगा। शासन को भी विश्वविद्यालयों का सहयोग करना होगा।