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बाबूलाल गौर ने मजदूर से मुख्यमंत्री तक का सफर किया तय, जानें

Update: 2019-08-21 04:48 GMT

भोपाल। निजी जीवन मे मजदूरी से लेकर राजनीतिक जीवन में मुख्यमंत्री तक का सफर तय करने वाले मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का बुधवार 21अगस्त की सुबह ह्र्दयगति रुक जाने से निधन हो गया। जनसंघ और भाजपा में सक्रिय रहे गौर भोपाल की गोविंदपुरा विधानसभा सीट से लगातार 10 बार विधायक भी रहे। सुबह उनके निधन की सूचना लगते ही भाजपा, कांग्रेस के कई राजनेता, प्रतिष्ठित जन, एवं जनप्रतिनिधि उनके निवास पर शोक संवेदना व्यक्त करने पहुंचे।

सहज सरल स्वभाव के बाबूलाल स्पष्टवादिता और तीखे बयानों के लिए चर्चित रहे। आजन्म जनसंघ और भाजपा में रहे लेकिन वे सर्वदलीय नेता के रूप में पहचाने गए। उनके कांग्रेस सहित अन्य दलों के राजनेताओं से भी मधुर संबंध रहे।

मजदूर नेता के रूप में भी पहचाने गए। इस बार पार्टी ने उनकी अधिक उम्र और खराब स्वास्थ्य को देखते हुए उनके स्थान पर उनकी पुत्रवधु श्रीमती कृष्णा गौर को टिकिट दिया।।  क्षेत्र में  श्री गौर की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पुत्रवधु श्रीमती गौर को भी विधानसभा चुनाव में बड़े अंतर से जीत मिली।

प्रकृति प्रेमी जानवरों पक्षियों से प्रेम जगजाहिर था। शासकीय निवास में भी कई दुर्लभ प्रजातियों के पेड़ पौधे और पक्षी अंतिम सांस तक उनके साथी बने रहे। उन्हें वे अपने परिवार की तरह रखते और चिंता करते थे।  पक्षी भी उनकी आहट को पहचानते थे। सहज सरल श्री गौर की आत्मीयता और व्यवहार के साथ ही उनके 74 बंगला स्थित आवास का प्राकृतिक सौंदर्य भी समान रूप से आगंतुकों को सहज आकर्षित करता था।

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