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चुनावी चौसर पर अटकलों के मोहरे...

कांग्रेस के साथ भाजपा में भी बढऩे लगी टिकिट दावेदारों की भीड़

Update: 2018-10-12 07:24 GMT

भोपाल/घनश्याम डंडौतिया/स्वदेश वेब डेस्क। प्रदेश में विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही राजनैतिक सक्रियता बढऩे लगीं हैं। आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद लगभग सभी राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने टिकिट की चाहत में अपनी पार्टी के आला नेताओं की देहरी पर दस्तक बढ़ा दी है। राजनैतिक रूप से यह सीट भाजपा, कांग्रेस एवं बसपा के त्रिकोण में फंसी मानी जा रही है। बर्ष 2013 के चुनावों में भाजपा ने पहली बार इस सीट को फतह कर नया इतिहास रचा था। भाजपा इस बार भी इस सीट पर अपनी जीत बरकरार रखने के लिये पूरा जोर लगा रही है। इससे पूर्व क्षेत्र की जनता बसपा प्रत्याशियों को भी इस सीट पर तीन बार जिताकर विधानसभा भेज चुकी है। जौरा विधानसभा सीट का राजनैतिक मिजाज समझने में यूं तो अक्सर राजनीति के बड़े पंडित भी असफल रहे हैं। यहां की जनता ने कभी भाजपा के दिग्गज राजनेता जाहर सिंह कक्का जैसे सर्वमान्य नेता को नकार दिया तो कभी किसी साधारण कार्यकर्ता की सादगी पर मेहरबान होकर उसे जीत का ताज पहना दिया। यह जरूर है कि इस सीट के परिणामों को हमेशा प्रत्याशियों का जातिगत समीकरण जरूर प्रभावित करता रहा है।

भाजपा में बढ़ी टिकट की चुनौतियां

भाजपा की ओर से जहां अब तक वर्तमान विधायक सूबेदार सिंह को ही एकमात्र दावेदार माना जा रहा था लेकिन हाल ही में भाजपा के प्रदेश पदाधिकारी दीपक भदौरिया द्वारा पिछले दिनों किये गये जनसम्पर्क के बाद से भदौरिया के उम्मीदवार होने के कयास लगाये जा रहे हैं। मूल रूप से कैलारस के रहने बाले दीपक भदौरिया की पहचान एक सौम्य एवं शिक्षित युवा के रूप मानी जाती है। भाजपा के अन्य मजबूत दावेदारों में महिला नेत्री श्रीमती उर्मिला त्यागी का नाम भी शामिल है। लम्बे समय से सक्रिय महिला नेत्री को पार्टी इस बार मौका देकर महिलाओं के बराबरी दर्जा दिये जाने की पैरौकार बन सकती है।

कांग्रेस में युवाओं की दावेदारी मजबूत

इसी क्रम में कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनावी मैदान में उतरने के लिये भी कई चेहरे तैयारी कर रहे हैं। पिछले चुनाव में मात्र ढ़ाई हजार से शिकस्त खाये बनवारीलाल शर्मा टिकिट की दौड़ में अब्बल माने जा रहे हों लेकिन चुनाव हारने के बाद उनकी निष्क्रियता एवं बढ़ती उम्र उनकी कमजोर कड़ी बन रहीं हैं। जौरा की राजनीति में एक बर्ष से अधिक समय से सक्रिय पंकज उपाध्याय अपनी सक्रियता से टिकिट के मजबूत दावेदार हैं। क्षेत्र में सक्रिय होकर बहुत कम समय में युवाओं की मजबूत टीम के साथ उपाध्याय पूरी ताकत से टिकिट की दौड़ में शामिल हैं। कांग्रेस पार्टी के एक और मजबूत युवा दावेदारों में जिला पंचायत सदस्य बलवीर कुशवाह का नाम भी शामिल है। टिकिट की दौड़ में पूर्व विधायक महेशदत्त मिश्र के भतीजे एवं स्वर्गीय शिवकुमार के पुत्र ऋषीकेशदत्त मिश्र का नाम भी टिकिटार्थियों की दौड़ में शामिल माना जा रहा है। पार्टी सूत्रों के अनुसार पार्टी इस बार विधानसभा के लिये किसी नये युवा चेहरे को भी आजमा सकती है। कांग्रेसी नेता एवं पूर्व नपा अध्यक्ष रहीं श्रीमती शारदा मित्तल के पति कैलाश मित्तल भी जौरा एवं कैलारस के वैश्य वर्ग के मतदाताओं के साथ इस दौड़ में बने हुए हैं।

हाथी दल में भी युवा नेता की दावेदारी मजबूत

इस सब के बावजूद सर्वाधिक चर्चा बसपा के टिकिट को लेकर हैं। जिला पंचायत उपाध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह का नाम बसपा के दावेदारों की सूची में सबसे ऊपर बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि मानवेन्द्र सिंह सिकवार का नाम लगभग फायनल है उसकी सिर्फ घोषणा होना बाकी है। वहीं 2008 के चुनावों में हाथी की सबारी कर विधानसभा पहुंचे पूर्व विधायक मनीराम धाकड़ भी टिकिट की लाईन में माने जा रहे हैं। 

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