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गठबंधन का जवाब देने भाजपा ने बनाई रणनीति

बसपा और सपा के कई बड़े नेता चुनाव से पहले हो सकते है भाजपा में शामिल

Update: 2018-08-30 06:16 GMT

भोपाल। प्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा बसपा और सपा के साथ संभावित गठबंधन को देखते हुए भाजपा भी पूरी तरह से सक्रिय हो गई है। भाजपा के रणनीतिकारो इस गठबंधन का असर कम करने के लिए रणनीति बना ली है। इस रणनीति के तहत भाजपा कांग्रेस ,बसपा व सपा के मजबूत नेताओ के संपर्क में है यह नेता चुनाव से पूर्व अपनी पार्टी को छोड़ भाजपा का थामन थाम सकते है।

सूत्रो के अनुसार भाजपा इन सभी दलों को ऐनवक्त पर बड़ा झटका देकर उनके समीकरणों को गड़बड़ाने की तैयारी मे है। इसके लिए अभी से भाजपा के रणनीकतकारों ने तैयारी शुरु कर दी है। इसके तहत भाजपा मौजूदा बसपा के चारों विधायकों के अलावा इस दल के मजबूत नेताओं पर नजर बनाए हुए है। भाजपा की नजर इसी तरह सपा के भी कुछ नेताओं पर है। भाजपा की मंशा इन नेताओं को चुनाव के पहले पार्टी में शामिल कराने की है। ऐसे नेताओं को तोडऩे के पहले पार्टी यह देखेगी की उनका इलाके में व्यापक जनाधार होने के साथ ही वे क्षेत्रीय एवं जातीय समीकरणों मे भी फिट बैठते हों। सतना के रैगांव से बसपा विधायक ऊषा चौधरी का मुयमंत्री की जनआशीर्वाद यात्रा के मंच पर आना भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। वही कोलारस से कांग्रेस विधायक महेन्द्र सिंह यादव द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की खूलेआम गुणगान ने भी कांग्रेस में हडकंप मचा दिया है।

भाजपा की 70 सीटें होंगी प्रभावित

भाजपा के लिए ये गठबंधन चिंता का विषय इसलिए है, क्योंकि कांग्रेस-बसपा के साथ होने से भाजपा की 70 उन सीटों पर सीधा असर पड़ेगा, जहां पिछले चुनाव में जीत-हार का अंतर 10000 वोटों तक रहा है। पिछले चुनाव में भले ही बसपा को चार सीटें मिली हों, लेकिन 10 सीटों पर वो दूसरे नंबर पर रही थी। जबकि, 60 सीटें ऐसी थीं, जिनमें बसपा को 10000 वोट मिले थे, जिनमें से 17 सीटों पर 20000 से ज्यादा वोट हासिल किए थे।

नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश

भाजपा ने नाराज नेताओं को मनाने के लिए वन टू वन का सिलसिला भी शुरू कर दिया है। जनआशीर्वाद यात्रा में मैहर और कटनी क्षेत्र के पार्टी के पूर्व विधायकों ने खुलेआम नाराजगी जताई थी। संगठन ने इसे गंभीरता से लिया है और उसे दूर करने की कवायद भी कर रहा है। संगठन के बड़े नेता असंतुष्टों से मिलकर वन टू वन चर्चा कर रहे हैं। प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे इसकी शुरुआत विंध्य से कर चुके हैं। सहस्त्रबुद्धे ने रीवा की संभागीय बैठक में नेताओं से वन टू वन चर्चा कर उनकी नराजगी दूर करने का प्रयास कर चुके है। 

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