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राज्यसभा : तीन तलाक विरोधी विधेयक को कमेटी के पास भेजने की मांग, नहीं हुई चर्चा

Update: 2018-12-31 11:30 GMT

नई दिल्ली। तीन तलाक विधेयक पर विपक्ष के कड़े विरोध के कारण राज्यसभा में आज चर्चा नहीं हो सकी। विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष इसे जांच के लिए सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने के लिए अड़ा रहा। सरकार ने आरोप लगाया है कि विपक्ष मुस्लिम महिलाओं के अधिकार से जुड़े इस विधेयक को जानबूझकर लटकाना चाहता है। गौरतलब है कि लोकसभा हाल ही में इस बिल को पारित कर चुकी है लेकिन कानून बनने के लिए बिल का राज्यसभा से पास होना भी जरूरी है।

राज्यसभा में सोमवार की कार्यसूची में मुस्लिम महिला(विवाह संरक्षण) विधेयक 2018 शामिल था तथा इसी के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) और कांग्रेस ने अपने सदस्यों के लिए व्हिप जारी किया। यह विधेयक गत गुरुवार 27 दिसम्बर को लोकसभा में 11 के मुकाबले 243 मतों से पारित हुआ था। तीन तलाक विरोधी विधेयक पिछले वर्ष भी लोकसभा में पारित हुआ था लेकिन तभी से यह राज्यसभा में लंबित पड़ा है। पुराने विधेयक में संशोधित करते हुए सरकार यह नया विधेयक लाई है, जिसमें पहले के कड़े प्रावधानों को कुछ नरम बनाया गया है। इसके बावजूद, कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी दल विधेयक को पारित नहीं किए जाने पर अड़े हुए हैं।

कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि उनकी पार्टी सहयोगी दलों के साथ मिलकर राज्यसभा में विधेयक को पारित नहीं होने देगी। 

दूसरी ओर, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विश्वास व्यक्त किया था कि सरकार राज्यसभा में बहुमत न होने के बावजूद विधेयक को पारित कराने में सफल होगी।

नए विधेयक में भी तीन तलाक(तलाक-ए-बिद्दत) के मामले को गैर जमानती अपराध माना गया है लेकिन संशोधन के मुताबिक अब न्यायाधीश के पास पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद सुलह कराने और जमानत देने का अधिकार होगा। संशोधित विधेयक में किए गए संशोधनों के अनुसार अनुसार मुकदमे से पहले पीड़िता का पक्ष सुनकर न्यायाधीश आरोपी को जमानत दे सकता है। इसके अलावा, अब पीड़िता, उससे खून का रिश्ता रखने वाले और शादी के बाद बने उसके संबंधी ही पुलिस में मामला दर्ज करा सकते हैं। संशोधित विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि न्यायाधीश के पास पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर उनकी शादी बरकरार रखने का अधिकार होगा। साथ ही एक बार में तीन तलाक की पीड़ित महिला मुआवजे का अधिकार दिया गया है।

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