नई दिल्ली/हैदराबाद। चक्रवाती तूफान 'गाजा' के खतरे की आशंका के बावजूद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा से बुधवार को संचार उपग्रह जीसैट-29 का सफल प्रक्षेपण किया। इस उपग्रह को इसरो के सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-एमके3-डी2 के जरिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 05 बजकर 08 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया।
जीसैट-29 का वजन 3,423 किलोग्राम है। यह श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ 67वां और भारत का 33वां संचार उपग्रह है। इसरो के जीसैट-29 की लॉन्चिंग भारत के लिए काफी अहम मानी जा रही है। इससे जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट पहुंचाने में मदद मिलेगी। इसकी सहायता से हिंद महासागर में जहाजों पर भी निगरानी की जा सकेगी।
इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. सिवन ने इस सफलता का श्रेय पूरी टीम को दिया है। इसरो की विज्ञप्ति में उन्होंने कहा है यह अभियान संचार जगत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उपग्रह जम्मू-कश्मीर के साथ उत्तर पूर्वी राज्यों को बेहतर सेवा मुहैया कराने में अहम भूमिका निभाएगा। उल्लेखनीय है कि चक्रवाती तूफान 'गाजा' गुरुवार को आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पुदुचेरी के तटीय इलाकों में दस्तक देने वाला है। इसके कारण 125 किमी. की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं।मौसम विभाग के मुताबिक 'गाजा' से तमिलनाडु, पुदुचेरी और आंध्र प्रदेश के आंशिक हिस्से प्रभावित रहेंगे।
डॉ. सिवन ने बताया कि प्रक्षेपण के लिए 27 घंटों की उल्टी गिनती मंगलवार दोपहर 2:50 बजे शुरू हुई थी। श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से शाम 5:08 बजे प्रक्षेपित किया गया। प्रक्षेपण के 16 मिनट बाद उपग्रह के भूस्थैतिक कक्षा में प्रवेश करते ही इसरो के वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गई।
— ANI (@ANI) November 14, 2018
Credit must go to Indian Space Research Organisation (ISRO) team. Let me congratulate entire team for this wonderful achievement: K Sivan, Chairman ISRO on successful launch of GSLV-MK-III D2 carrying GSAT-29 satellite from Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota.#AndhraPradesh pic.twitter.com/u9wCNslmoI
उन्होंने बताया कि इसरो ने मानवयुक्त मिशन को हासिल करने के लिए 2021 का लक्ष्य रखा है। वहीं, 'गगनयान' के तहत दिसंबर 2020 तक मानव रहित मिशन शुरू करने की भी योजना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर ऐलान किया था, भारत गगनयान के जरिए 2022 तक मानव को अंतरिक्ष में भेजने की कोशिश करेगा। अभियान के सफल होते ही भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। डॉ. सिवन ने बताया कि मिशन टीम सही रास्ते पर बढ़ रही है और काम चल रहा है।
जीएसएलवी का 641 टन है वजन
जीएसएलवी का वजन 641 टन है। इसका वजन यात्रियों से भरे पांच विमानों के बराबर है। यह 43 मीटर ऊंचा है, यानी 13 मंजिला इमारत के बराबर। यह 15 साल में तैयार हुआ है। इससे होने वाली हर लॉन्चिंग की लागत 300 करोड़ रुपये आती है। वर्ष 2019 में लॉन्च होने वाले चंद्रयान-2 और वर्ष 2022 से पहले भेजे जाने वाले गगनयान में इसी रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने दी बधाई
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री ने इसरो के वैज्ञानिकों को जीसैट-29 के सफल प्रक्षेपण पर बधाई दी है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि वह इस उपग्रह के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हैं। यह अब तक का सबसे भारी उपग्रह था। इसके माध्यम से डिजिटल संपर्क खासकर जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व जैसे दूरदराज के क्षेत्रों से संभव हो पाएगा।
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि जीसैट-29 उपग्रह प्रक्षेपण पर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई। इससे जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में संचार सेवाओं की क्षमता में गुणवत्तापूर्ण सुधार होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे दोहरी सफलता बताते हुए कहा कि सबसे भारी उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने का इसरो ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह उपग्रह देश के दूरदराज क्षेत्रों में संचार की सुविधा और इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराने में मदद करेगा।