Pm Modi ने की UNSC की खुली बहस की अध्यक्षता, दुनिया को बताएं समुद्री सुरक्षा के 5 सिद्धांत

Update: 2021-08-09 13:13 GMT

नईदिल्ली।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर खुली बहस की शुरुआत हो गई है।उन्होंने इस सभा की अध्यक्षता कर इतिहास रच दिया है।  वह ऐसा करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं।  वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति, यूनाइटेड नेशंस सिस्टम और प्रमुख क्षेत्रीय संगठनों के प्रमुख भाग ले रहे है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इसमें शामिल हुए हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा की समंदर हमारी साझा धरोहर है, हमारे समुद्री रास्ते इंटरनेशनल ट्रेड की लाइफलाइन है और सबसे बड़ी बात ये है कि समंदर हमारे Planet के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।  हमें समुद्री व्यापार में बाधाओं को दूर करना चाहिए। हमारी समृद्धि समुद्री व्यापार के निर्बाध प्रवाह पर निर्भर है। इसमें आने वाली बाधाएं पूरी दुनिया के लिए चुनौतियां हैं। मुक्त समुद्री व्यापार भारत की सभ्यता से सदियों से जुड़ा हुआ है। 

उन्होने कहा की मैं आप के समक्ष पांच मूल सिद्धांत रखना चाहूंगा। पहला सिद्धांत: हमें legitimate maritime trade से barriers हटाने चाहिए। हम सभी की समृद्धि maritime trade के सक्रिय flow पर निर्भर है। इसमें आई अड़चनें पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती हो सकती हैं।दूसरा सिद्धांत: maritime disputes का समाधान शांतिपूर्ण और अंतर्राष्ट्रीय कानून के आधार पर ही होना चाहिए। आपसी trust और confidence के लिए यह अति आवश्यक है। इसी माध्यम से हम वैश्विक शान्ति और स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं।

इसके लिए तीसरा सिद्धांत: हमें प्राकृतिक आपदाओं और non-state actors द्वारा पैदा किए गए maritime threats का मिल कर सामना करना चाहिए। इस विषय पर क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए भारत ने कई कदम लिए हैं।चौथा सिद्धांत: हमें maritime environment और maritime resources को संजो कर रखना होगा। जैसा कि हम जानते हैं, Oceans का climate पर सीधा impact होता है। इसलिए, हमें अपने maritime environment को plastics और oil spills जैसे प्रदूषण से मुक्त रखना होगा।पांचवा सिद्धांत: हमें responsible maritime connectivity को प्रोत्साहन देना चाहिए।ऐसे infrastructure projects के development में देशों की फिस्कल sustainability और absorption capacity को ध्यान में रखना होगा।

Tags:    

Similar News