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कमलनाथ के 'फैसले' पर दिग्विजय समर्थकों के सवाल !

Update: 2020-07-08 01:00 GMT

भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस में दो दिन चले मंथन में प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक की सख्ती के बाद भी नेता अपने जुबानी हमले बन्द नही कर रहे हैं। हालात यह बन गए हैं कि मंथन बैठक कर वासनिक दिल्ली पहुंचे उससे पहले ही मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा कराए जा रहे सर्वे को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समर्थक 24 विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों के चयन हेतु हो रहे सर्वे को लेकर खुलकर सामने आ गए हैं। दरअसल मध्यप्रदेश कांग्रेस के लिए साल 2018 के विधानसभा चुनाव में जो फॉर्मूला जीत का कारण बना था, वही अब उपचुनाव में उसके गले की हड्डी बनता दिख रहा है। बात सर्वे की हो रही है। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमटी के अध्यक्ष कमलनाथ जिताऊ उम्मीदवार की तलाश के लिए निजी एजेंसियों से सर्वे करा रहे हैं। उनके इस निर्णय में कांग्रेस आलाकमान की सहमति भी है, लेकिन उनका यह निर्णय पार्टी के दिग्विजय सिंह समर्थक नेताओं को रास नहीं आ रहा। उनका कहना है कि ग्वालियर-चम्बल अंचल की 16 सीटों के उम्मीदवार चयन के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और पूर्व मंत्री डाक्टर गोविन्द सिंह को अधिकार दिए जाएं।

विरोध की ये है वजह

पिछले रविवार और सोमवार को मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी ने उप चुनाव वाली सीटों के लिए उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया के तहत विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारियों से उनका अभिमत लिया था। इस मंथन में निकलकर हकीकत को सुनकर दिग्विजय सिंह समर्थकों को यह आभास हो गया कि उप चुनाव में वही चेहरे मैदान में उतरेंगे जिन्हें कमलनाथ चाहेंगे। इस मंथन बैठक में मौजूद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक के सामने तो यह नेता हर बात पर अपनी सहमति की मुहर लगा आए। लेकिन मंथन से बाहर निकलकर इनके तेवर तल्ख हो गए और मीडिया के सामने ही खुलकर कमलनाथ के फैसलों का विरोध शुरु हो गया। यह तो रही अन्दर की बात अब बताते हैं पर्दे के पीछे चल रही रणनीति, जिसके कारण यह सब नाटकीय घटनाक्रम हुआ। तो जब मंथन बैठक में यह तय हो गया कि उम्मीदवार चयन में कमलनाथ की सर्वे रिपोर्ट को ही आधार बनाया जाएगा, तब दिग्विजय सिंह समर्थक उन नेताओं के अरमानों पर पानी फिर गया, जो उप चुनाव में अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र से ताल ठोक रहे हैं। उन्हें लगा कि कमलनाथ की चली, तो उन्हें टिकिट कभी नही मिलेगा। यही वजह रही की अपने नेता का संकेत मिलते ही इन नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ ताल ठोक दी है। इनका मूल मकसद आलाकमान तक यह संदेश पहुंचाना है कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ अपनी मामानी कर रहे हैं और ऐसा ही चला तो उप चुनाव से पहले पार्टी के अन्दर बड़ी बगावत हो सकती है।

सर्वे पर क्या है आपत्ति?

मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव को लेकर कांग्रेस भले ही चाहरदीवारी के भीतर मंथन कर रणनीति बनाने में जुटी हो, लेकिन अब पार्टी के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कमलनाथ के 24 सीटों पर जीत के लिए जिताऊ उम्मीदवारों को लेकर हो रहे सर्वे पर पार्टी के अंदर घमासान उठ खड़ा हुआ है। पार्टी के सर्वे को लेकर अपनों की ही आवाजे मुखर होने लगी हैं। सर्वे को लेकर सबसे ज्यादा दिक्कत ग्वालियर-चंबल इलाके में खड़ी हो गई है। यहां ही कमलनाथ द्वारा कराए जा रहे सर्वे के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए गए हैं। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक स्थानीय स्तर पर एजेंसियों के द्वारा जो सर्वे हो रहा है, उसमें मतदाताओं की जगह नेताओं के समर्थकों से अभिमत लिया जा रहा है। अर्थात जिस विधानसभा क्षंत्र में जितने दावेदार हैंए वहां उनके समर्थक ही अपनी राय दे रहे हैं जिसके आधार पर ही सर्वे टीम सर्वे रिपोर्ट तैयार कर रही है। हालांकि कमलनाथ के सर्वे कराए जाने का विरोध करने वाले नेताओं में सभी दिग्विजय सिंह समर्थक हैं। जो चाहते हैं कि ग्वालियर-चंबल इलाके में पार्टी के नेता दिग्विजय सिंह, अजय सिंह डॉक्टर गोविंद सिंह की राय के बाद ही उम्मीदवार के नाम का ऐलान होना चाहिए।

सर्वे के आधार पर सवाल ?

सिर्फ स्थानीय नेता ही नहीं बल्कि ग्वालियर चंबल में कांग्रेस के बड़े नेता डॉक्टर गोविंद सिंह ने भी उम्मीदवार चयन के लिए सर्वे को आधार बनाए जाने पर आपत्ति दर्ज करा दी है। डॉ.गोविंद सिंह के मुताबिक जो सर्वे हो रहा है, वह पूरी तरीके से गलत नहीं है, लेकिन यह जरूरी है कि उम्मीदवार चयन को लेकर स्थानीय स्तर के नेताओं की भी राय ली जाए।

क्या हैं सर्वे में बिन्दु?

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ सभी 24 विधानसभा सीट के लिए निजी एजेंसियों से सर्वे करा रहे हैं। इसमें स्थानीय स्तर के मुद्दे, जातीय समीकरण और जिताऊ चेहरों की जानकारी जुटाई जा रही है. 2018 के चुनाव से पहले भी कमलनाथ ने निजी एजेंसी से सर्वे कराया था और सर्वे के आधार पर कांग्रेस पार्टी की रणनीति तय कर सत्ता हासिल की थी। कमलनाथ को भरोसा है कि 2018 का फार्मूला 2020 के उपचुनाव में भी कारगर साबित होगा। लेकिन अब पार्टी के लिए उसका सर्वे मुसीबत बनता दिखाई दे रहा है। पार्टी के नेता खुलकर सर्वे के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं। ऐसे में ग्वालियर चंबल इलाके की 16 सीटों पर कांग्रेस को उम्मीदवार तय करने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। 

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