ममता बनर्जी ने बदला पश्चिम बंगाल का नाम
ममता की टीएमसी ने पार्टी की पुस्तिका में राज्य का नाम बदला
कोलकाता/वेब डेस्क। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने एक बार फिर संवैधानिक प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया है। पार्टी ने अपनी सांख्यिकी की किताब में पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर 'बांग्ला' कर दिया है। इससे टीएमसी की संवैधानिक सोच पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
दरअसल, पश्चिम बंगाल सरकार लंबे समय से चाहती है कि राज्य का नाम बदलकर हिंदी, इंग्लिश और बांग्ला तीनों ही भाषाओं में 'बांग्ला' कर दिया जाए। केंद्र सरकार साफ कर चुकी है कि वह राज्य के प्रस्ताव को नहीं मानेगी और राज्य का नाम नहीं बदला जाएगा। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लेकर सूबे का नाम बदलने की अपील की थी।
राज्य विधानसभा में चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से बंगाल का नाम बदलने के लिए संसद में प्रस्ताव लाने की अपील की है, लेकिन केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि पश्चिम बंगाल का नाम नहीं बदलेंगे। अब राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी ने एक पुस्तिका प्रकाशित की है। इसमें राज्य के विकास के आंकड़ों को रेखांकित किया गया है।
इस किताब में पश्चिम बंगाल का जिक्र कहीं नहीं है, बल्कि हर जगह राज्य का नाम 'बांग्ला' लिखा गया है। पहले पन्ने पर ही राज्य के विकास के बारे में लिखा गया है कि ममता बनर्जी के शासनकाल में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार समेत अन्य विकास के पैमाने पर 'बांग्ला' पूरे देश में शीर्ष पर है। पूरी पुस्तिका में जहां भी राज्य के नाम का जिक्र हुआ है वहां 'बांग्ला' लिखा गया है।
ऐसे में एक बार फिर सवाल खड़े होने लगे हैं एक सत्तारूढ़ पार्टी जो संवैधानिक प्रक्रिया के तहत चुनी गई है, वह राज्य का नाम संवैधानिक तौर पर नहीं बदलने के बावजूद भी अपनी आधिकारिक पुस्तिका में 'बांग्ला' कैसे लिख रही है।