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कमलनाथ सरकार को मप्र हाईकोर्ट ने दिया झटका, 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर लगाई रोक

-कमलनाथ सरकार हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में देगी चुनौती

Update: 2019-03-19 15:48 GMT

जबलपुर/भोपाल। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आचार संहिता लगने से ठीक पहले शिक्षण संस्थानों में लागू किये गये 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कमनलाथ सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जबलपुर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति आरएस झा और संजय द्विवेदी की खंडपीठ ने मंगलवार को तीन मेडिकल छात्राओं की याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। इस पर कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने कहा है कि सरकार ने ओबीसी वर्ग के हक को ध्यान में रखकर फैसला किया था। अब कांग्रेस अपनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ेगी।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में वर्तमान में अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 20 और अतिरिक्त पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 14 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। राज्य सरकार ने 8 मार्च को अध्यादेश जारी करते हुए ओबीसी आरक्षण को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था। राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ मेडिकल की तीन छात्राओं भोपाल की ऋचा पांडेय, जबलपुर की असिता दुबे और सुमन सिंह ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

याचिका में इंदिरा साहनी मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया गया था। इसमें कहा गया था कि इस फैसले के मुताबिक आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती, लेकिन ओबीसी आरक्षण बढ़ाए जाने से मध्य प्रदेश में यह बढ़कर 63 फीसदी हो गई है। अगर आरक्षण की सीमा 63 फीसदी होती है तो ना सिर्फ यह सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के खिलाफ होगा, बल्कि सामान्य वर्ग के छात्र-छात्राओं के हित भी प्रभावित होंगे। 25 मार्च से शुरू होने बाली एमबीबीएस की काउंसिलिंग और इसके बाद नीट प्री पीजी काउंसलिंग में 27 फीसदी आरक्षण लागू होने से सामान्य वर्ग के विद्यार्थी प्रवेश लेने से वंचित रह जाएंगे।

हाईकोर्ट ने मेडिकल एजुकेशन विभाग के प्रमुख सचिव और डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन के खिलाफ नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब तलब किया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य शासन द्वारा 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी किया गया ओबीसी आरक्षण असंवैधानिक है। संविधान के अनुच्छेद 16 में प्रावधान है कि एससी-एसटी और ओबीसी को मिलाकर आरक्षण 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा है कि 25 मार्च से होने वाली एमबीबीएस की काउंसिलिंग ओबीसी के 14 प्रतिशत आरक्षण के आधार पर ही की जाएगी।

उधर, हाईकोर्ट से झटका मिलने के बाद कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने कहा है कि अब कांग्रेस अपनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ेगी। उन्होंने कहा, कमलनाथ सरकार ने ओबीसी को उनका अधिकार दिया था लेकिन भाजपा में इसे लेकर खलबली थी। 

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