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जम्मू - कश्मीर : सज्जाद लोन की पीपुल्स पार्टी के साथ मिलकर भाजपा बना सकती है सरकार

माना जा रहा है कि श्रीअमरनाथ यात्रा के सम्पन्न होने के बाद राज्य में एक नया गठजोड़ को सकता है।

Update: 2018-07-06 09:11 GMT
File Photo

जम्मू। पीडीपी से समर्थन वापस लेने के बाद भाजपा अपने सहयोगी पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष सज्जाद लोन के साथ मिलकर सरकार बना सकती है, ऐसी संभावनाएं नजर आ रही हैं। राज्यपाल शासन से पूर्व राज्य की भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार के दौरान भाजपा ने सज्जाद लोन को अपने कोटे से मंत्री बनाया हुआ था। भाजपा द्वारा पीडीपी से समर्थन वापस लेने के बाद राज्य में राज्यपाल शासन तो लागू हो गया गया है परन्तु राज्य की राजनीति गर्माई हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा अपने सहयोगी पीपुल्स पार्टी के सज्जाद लोन को अपना समर्थन दे सकती है। पीडीपी के नाराज चल रहे चार विधायकों ने दावा किया है कि उनके साथ 14 और विधायक हैं और कुछ नेकां पार्टी के नाराज विधायक भी इस गठबंधन में शामिल हो सकते हैं।

माना जा रहा है कि श्रीअमरनाथ यात्रा के सम्पन्न होने के बाद राज्य में एक नया गठजोड़ को सकता है। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह राज्य में राज्यपाल शासन लगने के बाद राज्य के दो दिवसयी दौरे पर हैं और माना जा रहा है कि इस दौरान राज्य में नई सरकार की गठन की संभानाएं भी तलाशी जा रही है।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के साथ-साथ राज्यपाल शासन लागू होने के बाद राज्य में पैदा हालात, स्थानीय युवाओं को सकारात्मक कार्यों में प्रोत्साहित करने और विकास योजनाओं से जुड़े कई मुददों पर राज्यपाल व सुरक्षा एजेंसियों क उच्चाधिकारियों से चर्चा की है।

राजनाथ सिंह ने पुलिस वाहिनियों के गठन की मौजूदा स्थिति की समीक्षा के साथ-साथ घाटी में चल रहे आतंकरोधी अभियानों की रणनीति की समीक्षा व बंकरों के निर्माण कार्याे का भी जायजा लिया है। राजनाथ के दौरे को राज्य में नई सरकार के गठन की संभावना से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।

इसके अलावा, नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 15 विधायक किन्तु उमर अब्दुल्ला सरकार गिरने वाले दिन से ही साफ कर चुके हैं कि वे राज्य में जोड़-तोड़ की सरकार बनाने के बजाय नए सिरे से चुनाव चाहते हैं। वहीं 12 विधायकों वाली कांग्रेस ने सरकार बनाने की कोशिश जरूर की पर बात नहीं बनी। ऐसे में 19 विधायकों की जरूरत के लिए बीजेपी सज्जाद लोन की पीपुल्स पार्टी के दो विधायकों और अन्य निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नाराज विधायकों में संभावनाएं देख रही है। राज्य में सीपीएम का एक, पीडीएफ का एक और तीन निर्दलीय विधायक हैं।

पीडीपी के चार विधायक इमराज रजा अंसारी, आबिद अंसारी, मोहम्मद अब्बास वानी तथा जावेद वेग तो खुलकर महबूबा मुफ्ती की खिलाफत कर चुके हैं। इनके अलावा, 14 और विधायक भी पार्टी मुखिया से नाराज बताए जा रहे हैं। नाराज विधायकों को पटन से विधायक इमरान रजा अंसारी एकजुट कर बीजेपी की राह और आसान कर रहे हैं।

पीडीपी विधायक इमरान रजा अंसारी को सज्जाद लोन व पूर्व वित्त मंत्री हसीब द्राबू का करीबी माना जाता है। हसीब द्राबू ने भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार बनाने में राम माधव के साथ अहम भूमिका निभाई थी। अब एक बार फिर सज्जाद-अंसारी-द्राबू की तिकड़ी सत्ता के खेल में अहम भूमिका निभा सकती है।

रियासत में सत्ता का मौजूदा सियासी गणित कुछ ऐसा है कि कोई भी दल बिना किसी सहयोग के सरकार नहीं बना सकता। राज्य में 28 विधायकों के साथ पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है। वहीं बीजेपी 25 विधायकों के साथ दूसरे नंबर पर है। सरकार बनाने के लिए 44 का आंकड़ा चाहिए यानि अगर बीजेपी सरकार बनाने की कोशिश करती है तो उसे 19 विधायकों की जरूरत होगी। 

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