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चंद्रयान 2 : ऑर्बिटर से लैंडर की लोकेशन मिली, संपर्क स्थापित करने की कोशिश

Update: 2019-09-08 08:45 GMT

दिल्ली। इसरो के वैज्ञानिकों को ऑर्बिटर से मिली तस्वीरों से इसरो को लैंडर विक्रम का पता चल गया है। अब इस काम में जुट गए हैं कि चन्द्रयान 2 के विक्रम लैंडर की लैंडिंग में गड़बड़ी कहां हुई। इसरो यह पता लगाने लग गया है कि लैंडिंग में कमी कैसे हुई और क्यों हुई। इसके लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने लंबा-चौड़ा डाटा खंगालना प्रारंभ कर दिया है।

इसरो के वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए विक्रम लैंडर के टेलिमेट्रिक डाटा, सिग्नल, सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, लिक्विड इंजन के काम का अध्ययन करने में जुट गया है।

इसरो मुख्यतया: आखिरी बीस मिनट के डाटा खंगाला जा रहा है।विक्रम की लैंडिंग आखिरी पलों में गड़बड़ हुई। ये दिक्कत तब शुरू हुई जब विक्रम लैंडर चांद की सतह से मात्र 2.1 किलोमीटर ऊपर था। अब वैज्ञानिक विक्रम लैंडर के उतरने के रास्ते का विश्लेषण करने में जुटे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक हर सब-सिस्टम के परफॉर्मेंस डाटा में कुछ राज छिपा हो सकता है। यहां लिक्विड इंजन का जिक्र बेहद अहम माना जा रहा है। विक्रम लैंडर की लैंडिंग में इसका अहम रोल माना जा रहा है।

वैज्ञानिक उन सिग्नल या उत्सर्जन संकेतों की जांच करने में लगे हैं। इससे कुछ गड़बड़ी का पता चल सकें। इसमें सॉफ्टवेयर की समस्या, हार्डवेयर की खराबी शामिल हो सकती है। इसरो के वैज्ञानिक लगातार इस बात का प्रयास कर रहे हैं कि लैंडर से संपर्क स्थापित किया जा सके। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर विक्रम ने क्रैश लैंड किया है तो उसके उपकरणों को नुकसान पहुंचा होगा, लेकिन अगर ऑर्बिटर के जरिए सही दिशा में लैंडर से संपर्क करने की कोशिश की जाए तो संपर्क स्थापित हो सकता है।

इसरो विक्रम लैंडर की लैंडिंग में आई खामी का पता करने के लिए हर पहलू की जांच कर रहा है। इसरो की टीम अब ये जांच कर रही है कि क्या किसी किस्म की आंतरिक चूक हुई है या फिर कोई बाहरी तत्व का हाथ है। दुनिया भर की स्पेस एजेंसियों की निगाह चंद्रयान-2 की लैंडिंग पर टिकी थी। इसलिए इसरो इस पर भी विचार कर सकता है कि दूसरी एजेंसियों, जैसे कि स्पेस स्टेशन, टेलिस्कोप से विक्रम लैंडर से जुड़े जरूरी सेंसर डाटा को लिया जाए, ताकि विक्रम लैंडर का लोकेशन पता चल सके।

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