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अयोध्या मामला : 12वें दिन निर्मोही अखाड़े के सेवादार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- मेरे अधिकार को कोई चुनौती नहीं दे सकता

Update: 2019-08-26 14:21 GMT

नई दिल्ली। अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को 12वें दिन की सुनवाई पूरी हो गई। आज निर्मोही अखाड़े की ओर से सुशील कुमार जैन ने अपनी दलीलें रखीं। इस मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी।

निर्मोही अखाड़ा के वकील सुशील कुमार जैन अपनी दलीलें रखते हुए ट्रायल कोर्ट के गवाहों के बयान को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा और बताया कि गोपाल सिंह विशारद के बयान का क्रास-एग्जामिनेशन नहीं किया गया । जैन ने कहा कि मेरे सेवादार होने के वजह से मेरे पूजा और रखरखाव के अधिकार को किसी ने भी चैलेंज नहीं किया तो अब कैसे कोई मेरे अधिकार को चुनौती दे सकता है?

सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा से पूछा कि तो आप इस याचिका से क्या चाहते हैं? तब सुशील कुमार जैन ने कहा कि हम रखरखाव और ज़मीन का अधिकार चाहते हैं, पूजा हमारे द्वारा ही कराई जाती है, यह गतिविधियां सेवादार की हैं और मुझे इनका पालन करना है ।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या अखाड़ा के सभी साधु संगठन अपने नाम के साथ दास लगते हैं? तब सुशील कुमार जैन ने जवाब दिया कि वह भगवान राम के दास हैं। इसलिए उन्होंने अपने नाम में दास जोड़ा है। कुछ लोग अपने नाम के आगे चरण भी लगते हैं । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अखाड़ा के सेवादार होने पर कोई विवाद नहीं है। निर्मोही अखाड़ा अभी रामजन्मभूमि के प्रतिनिधि के तौर पर है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर रामलला की याचिका खारिज हो गई तो आप मस्जिद के सेवादार नहीं हो सकते हैं। आपको रामलला की याचिका के विरोध की ज़रूरत नहीं है।

23 अगस्त को निर्मोही अखाड़े ने कहा था कि राम का जन्मस्थान रामपुर है।अयोध्या बहुत बड़ा शहर है और मंदिर की जगह रामपुर है। तब जस्टिस बोब्डे ने पूछा था कि आप कहना क्या चाहते हैं? तब जैन ने कहा था कि मंदिर का स्थान, रामपुर में राम जन्मस्थान। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि उपासकों का दावा भगवान से कभी भी कम नहीं हो सकता है लेकिन अगर आप केस नंबर 5 का विरोध करेंगे तो आप भगवान के टाइटल के खिलाफ हैं। मान लीजिए कि केस नंबर 5 यानी रामलला का केस खारिज हो जाता है तो आपका अपना स्वतंत्र कोई दावा नहीं होगा। आप दूसरे पक्ष हैं। आप भगवान के अस्तित्व के बिना अस्तित्वहीन हैं। तब जैन ने कहा था कि हमने बालाजी के नजदीकी दोस्त के नाते केस दायर किया है। कब्जा किसी नजदीकी मित्र को नहीं दिया जा सकता है किसी सेवादार को ही दिया जा सकता है।

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