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हथियार कंपनियों के हाथ का मोहरा बन रहे हैं राहुल गांधीः जेटली

Update: 2018-12-16 16:17 GMT

नई दिल्ली।केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को आरोप लगाया कि राफेल युद्धक विमानों के सौदे से हथियार आपूर्ति करने वाली प्रतिद्वंदी कंपनियों को नुकसान पहुंचा है। वे इस सौदे के खिलाफ भारत के कुछ राजनेताओं और तथाकथित विशेषज्ञों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में गतिरोध पैदा करने वालों का एक गठबंधन बन गया है और भाड़े के झूठ बोलने वाले लोग मुखर हो गए हैं।

जेटली ने राफेल सौदे पर लिखे गए एक ब्लॉग में कहा कि हथियार बनाने वाली कंपनियां बहुत चालाक होती हैं। उन्हें पता है कि अपना हित साधने के लिए वे किन लोगों का इस्तेमाल कर सकती हैं। भाजपा नेता के अनुसार उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जैसे राजनीतिक, जनहित याचिका दायर करने वाले पेशेवर वकील और अवसरवादी राष्ट्रवादी अभी भी झूठ, फरेब फैलाने से बाज नहीं आ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस के नेता यह हकीकत नहीं स्वीकार कर पा रहे हैं कि नरेन्द्र मोदी सरकार एक ईमानदार और पारदर्शी सरकार है जिसमें बिचौलियों के लिए कोई स्थान नही है। बिचौलियों के लिए देश के दरवाजे बंद हैं तथा जो लोग कानून से बचने के लिए विदेश भाग गए हैं उन्हें घसीट कर भारत लाया जा रहा है।

जेटली ने कहा कि राहुल गांधी राफेल सौदे की तुलना बोफोर्स घोटाले से करने की हिमाकत कर रहे हैं। वास्तविकता यह है कि बोफोर्स घोटाले में दलाली ली गई थी जो बाद में साबित भी हुई। इसके विपरीत राफेल सौदा पूरी तरह साफ सुथरा है तथा उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में इसे सही ठहराया है । न्यायालय ने खरीद प्रक्रिया, युद्धक विमानों के मूल्य और सहयोगी कंपनी (ऑफसेट) के चुनाव में कोई गड़बड़ी नही पाई है।

उच्चतम न्यायालय के फैसले में नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सीएजी) और लोकलेखा समिति (पीएसी) के बारे में कुछ त्रुटियां होने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब भी ऐसा होता है तो कोई भी पक्ष न्यायालय में सुधार के लिए अनुरोध कर सकता है। मौजूदा मामले में भी ऐसा ही किया जा रहा है।

वित्तमंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को अब यह तय करना है कि वह बताए कि सौदे के मूल्य निर्धारण के संबंध में सीएजी में चल रही मौजूदा जांच पड़ताल किस चरण में है।

उन्होंने कहा कि खरीद प्रक्रिया, विमानों के मूल्य और ऑफसेट के चुनाव के संबंध में उच्चतम न्यायालय के निष्कर्ष अंतिम हैं तथा इस संबंध में सीएजी की रिपोर्ट अप्रासंगिक होगी। इसी तरह इस मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन से भी कुछ हासिल न होगा क्योंकि पूर्व का अनुभव बताता है कि यह समिति दलीय आधारों पर काम करती है।

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