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AIRF ने की 'वर्क टू रूल' की मांग, त्योहारी मौसम में थम सकते हैं ट्रेनों के पहिए

Update: 2018-10-13 12:30 GMT

नई दिल्ली। त्योहारों के मद्देनजर यात्रियों की अतिरिक्त भीड़ की सुविधा के लिए रेलवे जहां अतिरिक्त रेलगाड़ियां चलाने की कवायद में जुटा है वहीं रेलवे का सबसे बड़ा संगठन ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन (एआईआरएफ) अपनी मांगों के समर्थन में 'वर्क टू रूल' पर जाने की तैयारी कर रहा है।

एआईआरएफ ने 19 अक्टूबर को दशहरे के दिन अपनी एक अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक में रेल कर्मचारी 'वर्क टू रूल' के तहत काम करने की योजना पर फैसला ले सकते हैं। यदि इस बैठक में 'वर्क टू रूल' पर सहमति बन जाती है तो दशहरा, दीपावली और छठ पूजा के दौरान यात्रियों को परेशानी हो सकती है। असल में रेलवे कर्मचारियों की कमी के कारण मौजूदा स्टाफ से ही अतिरिक्त समय तक ड्यूटी करवाता है। ऐसे में यदि वह वर्क टू रूल पर चले जाते हैं तो वह केवल आठ घंटे की ही ड्यूटी करेंगे।

एआईआरएफ के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि रेलवे में इस समय लगभग ढाई लाख कर्मचारियों की कमी है। ऐसे में कर्मचारियों की कमी के चलते रेलवे के सुगम परिचालन के लिए बड़ी संख्या में रेलवे कर्मचारियों को निर्धारित समय से अधिक समय तक ड्यूटी करनी पड़ती है। ये कर्मचारी काम के दबाव और आराम के लिए उचित समय नहीं मिलने की समस्या से जूझते हैं। उन्होंने कहा कि काम के दबाव में लोको पायलट और गुड्स गार्ड को आठ घंटे के बजाय 12 घंटे तक की नौकरी करनी पड़ रही है।

मिश्रा ने कहा कि रेलवे कर्मचारी सातवें वेतन आयोग के तहत यात्रा व अतिरिक्त भत्ता, पुरानी पेंशन योजना को लागू करने, सहायक लोको पायलट और गुड्स गार्ड कर्मचारियों को निर्धारित समय से अधिक समय गाड़ी चलाने के लिए अनुचित दबाव नहीं डालने और कार्यस्थल पर सुरक्षा इंतजामों में बढ़ोत्तरी करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर पिछले काफी समय से आंदोलनरत हैं। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने अभी तक हमारी मांगों पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में शुक्रवार को भी सहायक लोको पायलट और गुड्स गार्डो ने संसद मार्ग पर प्रदर्शन किया था। उन्होंने कहा कि काफी समय से यात्रा भत्ता नहीं दिया जा रहा है। रनिंग स्टाफ भी रेलवे कर्मचारी हैं, इसके बावजूद हमारी मांगों की अनदेखी की जा रही है। 

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