Bangladesh News: शेख हसीना के चुनाव लड़ने पर मंडराया संकट, जानें किस वजह से रजिस्ट्रेशन हो सकता है कैंसिल
Bangladesh News: बांग्लादेश की राजनीति में एक बार फिर से बदलाव देखने को मिल सकता है l
Bangladesh News: बांग्लादेश की राजनीति इन दिनों बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। देश में तख्तापलट के बाद सत्ता से बाहर हुईं हसीना अब वापस लौटकर चुनाव लड़ने की तैयारी में थीं, लेकिन इससे पहले ही उनकी पार्टी आवामी लीग पर बैन लग गया है।
इस वजह से पार्टी पर आया संकट
बंग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शनिवार रात आतंकवाद विरोधी कानून के तहत आवामी लीग की तमाम गतिविधियों पर रोक लगा दी है। इस प्रतिबंध में पार्टी की ऑनलाइन गतिविधियां भी शामिल हैं। अब बांग्लादेश का चुनाव आयोग इस दिशा में आगे कदम बढ़ा सकता है। अगर सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी होता है, तो आवामी लीग का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है।
मुख्य चुनाव आयुक्त एएमएम नासीर उद्दीन ने मीडिया को बताया कि उन्हें सरकार के आधिकारिक नोटिफिकेशन का इंतजार है। नोटिफिकेशन मिलने के बाद चुनाव आयोग की बैठक होगी और उसी में यह तय किया जाएगा कि पार्टी का पंजीकरण रद्द किया जाए या नहीं। अगर रजिस्ट्रेशन कैंसिल होता है तो पार्टी आगामी आम चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाएगी।
वर्तमान में यूनुस की अंतरिम सरकार
देश में फिलहाल मोहम्मद यूनुस की अगुआई में अंतरिम सरकार काम कर रही है, जो तख्तापलट के बाद बनी थी। इस सरकार का दावा है कि वह लोकतंत्र को बहाल करने की दिशा में काम कर रही है और जल्द ही आम चुनाव करवाए जाएंगे। बताया जा रहा है कि दिसंबर 2025 से जून 2026 के बीच आम चुनाव कराए जा सकते हैं। अंतरिम सरकार ने कहा है कि यह प्रतिबंध देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए जरूरी है। साथ ही, जब तक अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में आवामी लीग और उसके नेताओं के खिलाफ चल रहे मुकदमे पूरे नहीं हो जाते, तब तक यह प्रतिबंध जारी रहेगा।
देश लौटाना चाहती है शेख हसीना
शेख हसीना, जो कभी देश की सबसे ताकतवर नेता मानी जाती थीं, अब निर्वासन में हैं और देश लौटने की योजना बना रही थीं। लेकिन उनकी वापसी से पहले ही ये राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बांग्लादेश में आने वाले चुनाव किस दिशा में जाते हैं और क्या शेख हसीना की राजनीति में वापसी मुमकिन हो पाएगी।
बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य पर अब सबकी निगाहें टिकी हैं, खासकर ऐसे वक्त में जब देश एक बार फिर लोकतंत्र की बहाली की ओर कदम बढ़ा रहा है।