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सिंधिया को महाराष्ट्र का काम सौंपा तो आने लगी प्रतिक्रियाएं

मप्र से यह कैसी दूरी?

Update: 2019-08-26 08:05 GMT

ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया को महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का चेयरमैन बनाए जाने के बाद तरह तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं। सोशल मीडिया पर भी कई तरह की बातें कही जा रही हैं। वहीं उनके समर्थकों ने तो यह तक कह दिया है कि महाराष्ट्र में सिंधिया क्या करेंगे?उन्हें तो मध्यप्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी मिलनी चाहिए थी। वहीं उनसे जुड़े तमाम मंत्री और विधायक इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।

उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव के पहले श्री सिंधिया और कमलनाथ की जुगलबंदी के कारण कांग्रेस प्रदेश में सरकार बनाने में सफल हुई।किंतु इसके लिए किसी के नाम को मुख्यमंत्री के लिए आगे नहीं रखा गया था। चूंकि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के विधायक अधिक चुनकर आए थे, इसलिए सिंधिया मुख्यमंत्री बनने से चूक गए और कमलनाथ के हाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान आ गई। इसके बाद श्री सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की मांग उठी, किंतु वह भी आई गई होती रही। इस बीच लोकसभा चुनाव आए तो उन्हें उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र का प्रभार दे दिया गया। वहां कांग्रेस की पूरी तरह पराजय हुई। इसके बाद उन्हें पुनः प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी की बात सामने आने लगी। किंतु अब उन्हें महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है। जिसे लेकर उनके समर्थक छटपटा रहे हैं। प्रदेश की मंत्री इमरती देवी ने तो साफ साफ कह दिया कि सिंधिया महाराष्ट्र में क्या करेंगे? उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। इसी तरह प्रदेश के कुछ अन्य नेता भी सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी जाने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस के जिला संगठन महामंत्री लतीफ का मल्लू ने तो साफ-साफ इमरती देवी के बयान का समर्थन करते हुए यह तक कह दिया कि जो मंत्री और विधायक बने बैठे हैं,वह सिंधिया के कारण जीतकर आए हैं और अब चुपचाप सरकार की बजा रहे हैं। उन्हें सिंधिया के लिए बोलना चाहिए। इसी तरह एक अन्य कार्यकर्ता मुरारीलाल ओझा ने भी सिंधिया को प्रदेश की कमान सौंपी जाने की बात कही है। वहीं जब इस मामले में प्रदेश के मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर से बात करना चाही तो उन्होंने कहा कि इस विषय पर फिर कभी बात करेंगे। ठीक यही स्थिति ग्वालियर पूर्व के विधायक मुन्नालाल गोयल की है। वे भी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर उनके भाजपा में जाने के कयास को लेकर भी सोशल मीडिया पर तरह-तरह की टिप्पणियां आ रही है। एक पत्रकार द्वारा लिखा गया है कि जो उनके भाजपा में जाने की बात कर रहे थे वे अब कहां है? इसपर लोग कमेंट कर रहे हैं कि श्री सिंधिया स्वयं अपनी स्थिति स्पष्ट क्यों नहीं करते।यह मुद्दा इसलिए सामने आया, क्योंकि श्री सिंधिया ने केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने का समर्थन किया था।बहरहाल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के रहते सिंधिया समर्थक मंत्री विधायक और अन्य नेता पूरी तरह से ढुलमुल नीति पर चल रहे हैं। क्योंकि यह बात सही है कि उन्हें प्रदेश में अपने काम कराने हैं तो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की ही बजानी पड़ेगी। ऐसा वह गुपचुप तरीके से कर भी रहे हैं।

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