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तेरह दिन और तेरह महीने के प्रधानमंत्री बने थे अटल बिहारी वाजपेई

Update: 2024-03-11 20:32 GMT

स्वामीनाथ शुक्ल। इतिहास के पन्नों में प्रधानमंत्री का सबसे छोटा कार्यकाल अटल बिहारी वाजपेई का था। वाजपेई तीन दफा 13 दिन,13 महीने और 5 साल के प्रधानमंत्री बने थे। पहली बार 13 दिन के कार्यकाल में बहुमत सिद्ध नहीं कर पाए थे। जिससे कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। पूर्व प्रधानमंत्री 12 बार सांसद चुने गए थे। इसमें 10 बार लोकसभा सांसद और दो बार राज्यसभा सांसद बने थे। वाजपेई का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर मध्यप्रदेश में हुआ था।

अटल बिहारी वाजपेई भारतीय जनसंघ और भाजपा की बुनियाद भरने में थे। पूर्व प्रधानमंत्री 1951 में जनसंघ की स्थापना के बाद 1952 का पहला चुनाव लड़ें थे। लेकिन हार गए। इसके बाद 1957 में जनसंघ से पहली बार बलरामपुर उत्तर प्रदेश से सांसद चुने गए थे। वाजपेई 12 बार सांसद बने थे। इसमें मध्यप्रदेश के ग्वालियर, विदिशा, गुजरात के गांधीनगर, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से एक एक बार सांसद बने थे। जबकि सबसे ज्यादा लखनऊ से 5 बाद सांसद चुने गए। इस बीच दो बार राज्यसभा सांसद भी बने। वाजपेई पहली बार 16 मई 1996 में 13 दिन के प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद 1998 में 13 महीने के लिए और तीसरी बार 19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक प्रधानमंत्री पद पर थे। इस दौरान पूरे देश को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की आधारशिला रखी थी।

अटल बिहारी की सड़क परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए नितिन गडकरी जुटे हैं। इसके बाद पोखरण परमाणु परीक्षण और कारगिल युद्ध में दुश्मनों को परास्त किए थे। जिससे अटल बिहारी वाजपेई को भारत रत्न मिला था। वाजपेई लखनऊ से 5 बार सांसद बने थे। जिससे इनकी सियासी विरासत को सहेजने संभालने और आगे बढ़ाने के लिए केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जुटे हैं। राजनाथ सिंह तीसरी बार लखनऊ से भाजपा के उम्मीदवार बने हैं। 2014 में पहली बार लखनऊ से सांसद और मोदी सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री बने थे। 2019 में दूसरी बार सांसद और केंद्रीय रक्षा मंत्री बने हैं। श्री सिंह 1977 में पहली बार मिर्जापुर से विधायक, 1988 में विधान परिषद सदस्य, 1991 में कल्याण सिंह की सरकार में शिक्षा मंत्री, 1994 में राज्यसभा सांसद, अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में कैबिनेट मंत्री, 2000 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, 2005 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, 2009 में गाजियाबाद से सांसद चुने गए थे। रक्षामंत्री लोकसभा चुनाव के पहले लखनऊ में 3.666 करोड़ रुपए की 206 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करने आए थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह ने कहा कि वाजपेई का सपना था कि दुनिया के शिखर पर भारत का नाम लिखा जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अटल बिहारी वाजपेई के सपनों को पूरा कर रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश अटल बिहारी वाजपेई 16 अगस्त 2018 को दुनिया से अलविदा हो गए थे। वरना सपनों को पूरा होते जरुर देख पाते। निर्माण खंड के अधिशासी अभियंता रमेश चंद्र ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना आने के बाद बहुत तेजी से विकास हुआ है।

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