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पांच राज्यों में है लव जिहाद के खिलाफ कानून, मप्र में होगा और सख्त

Update: 2020-11-18 12:14 GMT

वेबडेस्क। लव जिहाद के बढ़ते मामलों के बाद देश भर में इसके खिलाफ सख्त कानून की मांग की जा रही है।उत्तरप्रदेश और हरियाणा सरकार के बाद अब मध्यप्रदेश में भी इसकी रोकथाम के लिए कानून बनने जा रहा है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने घोषणा करते हुए स्पष्ट कर दिया की आगामी विधानसभा सत्र में विधेयक को प्रस्तुत किया जायेगा। इस नए कानून के निर्माण की घोषणा के बाद लोगों के मन में इसे लेकर कई भ्रांतियां उतपन्न हो रही है। इसलिए हम आपको बता दें की ये कोई नया कानून नहीं है, प्रदेश में ये कानून पहले से ही लागू है, अब सरकार इसमें बदलाव कर दोबारा लागू कर कर रहीं है।

मध्यप्रदेश सहित देश के पांच राज्यों छत्तीसगढ़, हिमाचलप्रदेश, गुजरात एवं उड़ीसा में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून है -

सबसे पहले उड़ीसा में लागू हुआ -

उड़ीसा देश का पहला राज्य है, जहां साल 1967 में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम लागू किया गया।  यहां लागू क़ानून के तहत जबरन अथवा लालच देकर धर्मपरिवर्तन कराने पर दो साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।  

साल 1968 में बना पहला कानून - 

मप्र में साल 1968 में जबरन अथवा धोखे से धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम के नाम से कानून बनाया गया था।जिसमें साल 2013 में संशोधन कर धर्मांतरण से पहले राज्य सरकार से मंजूरी लेना अनिवार्य किया गया। वहीँ जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर इसमें सजा का प्रावधान किया गया।  

साल 2003 में गुजरात में लागू -

गुजरात में साल 2003 में इस कानून को लागू किया गया है। यहां धर्मांतरण पर लगाम लगाने वाले कानून इस कानून के तहत धर्म बदलने की चाह रखने वाले लोगों को पहले जिला प्रशासन से इसकी मंजूरी लेनी पड़ती है। धर्म परिवर्तन के लिए जिला प्रशासन की मंजूरी अनिवार्य करने वाला ये पहला राज्य है।  

हिमाचल में सात साल की सजा का प्रावधान 

साल 2006 में हिमाचल में ये कानूम लागू किया गया था।  उस समय दो साल की सजा और प्रशासन से अनुमति का प्रावधान रखा गया था। 2011 में हाईकोर्ट ने स्थानीय प्रशासन से पूर्व स्वीकृति के प्रावधान को हटा दिया था। साल 2019 में कानून में हुए बदलाव के बाद लालच, जबरन अथवा धोखे से धर्म परिवर्तन के ममलों में तीन माह से लेकर सात साल की सजा का प्रावधान किया गया है।  

छत्तीसगढ़ ने अपनाया मप्र का कानून -

छत्तीसगढ़ ने साल 2000 में अस्तित्व में आने के बाद मप्र में लागू धर्म स्वातंत्र्य कानून को अपनाया है।  साल 2006 में सरकार ने इस कानून में संसोधन करते हुए 2006 धर्मांतरण से पहले जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति लेने की अनिवार्यता की गई। छत्तीसगढ़ धर्मांतरण से पूर्व प्रशासन की मंजूरी को अनिवार्य करने वाला गुजरात के बाद देश का दूसरा राज्य है।  

मध्य प्रदेश में धर्म परिवर्तन को लेकर 1968 से कानून मौजूद है। इस कानून के लचीला होने के कारण अब सख्ती के साथ नया कानून बनाया जा रहा है।  

ये होंगी विशेषताएं - 

कलेक्टर से लेनी होगी मंजूरी -

कानून में ये नया प्रावधान जोड़ा जा रहा है। जिसके बाद धर्म परिवर्तन करने से पहले इच्छुक व्यक्ति को एक माह पहले जिला कलेक्टर को धर्म परिवर्तन का आवेदन देना होगा।  

धर्म परिवर्तन कराने वालों पर मामला दर्ज होगा - 

यदि कोई व्यक्ति झूठ बोलकर शादी करता है, अथवा धोखे, प्रलोभन और अन्य तरीके से धर्म परिवर्तन कराने वालों पर मामला दर्ज हो सकेगा।

सहयोगी भी माने जायेंगे आरोपी -

नए कानून के तहत जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन कराने पर धर्मांतरण कराने वाले के साथ शामिल अन्य लोगों को भी मुख्य आरोपी माना जायेगा। सहयोगियों पर मुख्य आरोपी के समान कार्यवाही होगी।  

सभी धर्म पर समानता से लागू होगा -

नया कानून किसी विशेष धर्म पर लागू ना होकर सभी धर्मों पर समानता से लागू होगा।  

गैर जमानती अपराध -

पहले से लागू कानून में जबरन धर्मांतरण को गैर जमानती अपराध माना जाता है। अब ये गैर जमानती अपराध होगा।  

5 साल की सजा और आर्थिक दंड -

पुराने कानून में दो साल की सजा का प्रावधान था।  अब नए कानून के तहत 5 साल की सजा और आर्थिक दंड का प्रावधान किया है।  

ये होंगे लाभ -

नए कानून के तहत धर्मांतरण की चाहत रखने वालों को जिला कलेक्टर के यहां एक माह पूर्व आवेदन करना होगा।इस प्रावधान से धर्मांतरण की प्रक्रिया पारदर्शी हो जाएगी। धर्म परिवर्तन करने वालों के आंकड़े उपलब्ध होंगे। धर्म परिवर्तन करने वालों के कारण सामने आएंगे। जबरन, लालच एवं धोखे से होने वाले धर्मांतरण पर लगेगा रोका।  

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