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बिक गया हजारीबाग का भाजपा दफ्तर 'अटल भवन'

कल तक जो ''अटल भवन-अटल सेवा केंद्र '' हजारीबाग भाजपा का कार्यालय हुआ करता था, अब यशवंत सिन्हा की निजी संपत्ति है।

Update: 2018-06-16 14:59 GMT

- राजीव मिश्र

रांची | हजारीबाग भाजपा कार्यालय बिक गया। बेचने वाले भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष हैं और खरीदने वाला भी कोई बाहरी नहीं बल्कि भाजपा के दिग्गज नेता रहे एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा हैं। भाजपा कार्यालय के बिकने और खरीदने की यह घटना आपको झूठी लग सकती है, लेकिन यह सौ फीसदी सच है। कल तक जो ''अटल भवन-अटल सेवा केंद्र '' हजारीबाग भाजपा का कार्यालय हुआ करता था, अब यशवंत सिन्हा की निजी संपत्ति है। यशवंत सिन्हा कहते हैं, ''भाजपा कार्यालय को हमने खरीदा नहीं है, बल्कि अपने नाम रजिस्ट्री कराई है।''

यशवंत सिन्हा ने हजारीबाग (झारखंड) भाजपा का जिला कार्यालय (अटल भवन- अटल सेवा केंद्र) को अपने नाम रजिस्ट्री करा ली है। पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष रहे भैया बांके बिहारी ने यशवंत सिन्हा को 12 मई 2016 को यह कार्यालय भवन और जमीन रजिस्ट्री कर दी है। भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने चंदा कर 10 डिसमिल यानी 4356 वर्ग फुट का यह भूखंड वर्ष 2001 में खरीदा था, जिसकी रजिस्ट्री 29 मार्च 2008 को तत्कालीन भाजपा जिला अध्यक्ष भैया बांके बिहारी के नाम से हुई थी। हजारीबाग कैन्टोन्मेंट में स्थित खासमहाल की इस जमीन को रेवा राय से खरीदा गया था। वर्ष 2009 में इसी भूखंड के 1000 वर्ग फुट पर पार्टी कार्यालय का निर्माण किया गया और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर इसका नामकरण किया गया ''अटल भवन''। आज भी अटल भवन भाजपा का अधिकृत कार्यालय है और संगठन का सारा कामकाज यहीं से संचालित किया जाता है। कार्यालय पर भाजपा का कब्जा बरकरार है लेकिन इस भवन का स्वामित्व अब पार्टी के हाथ में नहीं बल्कि पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा के हाथ है। पूर्व अध्यक्ष बांके बिहारी ने तथाकथित दबाव या लालच में इसे यशवंत सिन्हा को बेच दिया। भूखंड और कार्यालय की कुल सरकारी कीमत 93 लाख 29 हजार 358 रुपए पर यशवंत सिन्हा ने कोर्ट फीस भरी है। इस प्रकार अब अटल भवन कानूनन यशवंत सिन्हा की हो गयी है।

पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि कैन्टोन्मेंट में स्थित और खासमहाल प्रकृति की जमीन होने के कारण यह किसी संस्था या संगठन के नाम नहीं हो सकता है। ऐसे में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष भैया बांके बिहारी के नाम से भूखंड को खरीदा गया। तब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के मन-मस्तिष्क में यह भाव ही नहीं आया था कि पार्टी और देश की सेवा करने की कसम खाने वाले लोग ही कार्यालय को अपने नाम रजिस्ट्री करा लेंगेे।

हजारीबाग पार्टी कार्यालय बिकने की घटना काफी दिनों तक तो फाइलों में कैद रही। क्रेता और बिक्रेता के रसूख और साजिश का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को इसकी भनक तीन महीने तक नहीं लगी। लेकिन जब कार्यालय बिकने की खबर सामने आई तो जंगल में आग की तरह फैल गयी। कार्यालय बिकने की खबर मिलने के बाद भाजपा नेता सक्रिय हुए। हजारीबाग के पूर्व पार्टी जिला अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को पत्र भेजा है। वैसे, अटल सेवा केंद्र की रजिस्ट्री के पहले भी स्थानीय कार्यकर्ताओं ने इस आशंका से पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को अवगत कराया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को भेजे गए पत्र में आरोप लगाया गया है कि यशवंत सिन्हा के डर से अधिकतर पार्टी पदाधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं। पूर्व में जिन्होंने भी इनके साजिश के बारे में बोला, उसे पार्टी से निकालकर हाशिए पर डाल दिया गया। जिला भाजपा कार्यालय की रजिस्ट्री के पहले ही तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष को मौखिक और लिखित जानकारी दी गयी थी। लेकिन अब जब पार्टी कार्यालय बिक गया है, तो हजारीबाग भाजपा नेताओं ने इस पूरे प्रकरण की जांच कराकर अटल भवन को भाजपा कार्यालय के नाम से रजिस्ट्री कराने की मांग की है। इन नेताओं का दावा है कि पार्टी कार्यकर्ताओं के चंदे से यह जमीन खरीदी गयी थी तथा 18 मंडलों के सदस्यता शुल्क तथा चंदे के पैसे से इसपर पक्का भवन बनवाया गया था। इस पत्र पर हजारीबाग जिला के पूर्व अध्यक्ष रणजीत कुमार, पूर्व जिला प्रवक्ता विनोद कुमार, प्रकाश दयाल, गणेश प्रसाद, रोहित कुमार, नवीन कुमार आदि के हस्ताक्षर हैं।

मामला बढ़ता देख यशवंत सिन्हा भी अब इसे अपनी निजी मिल्कियत नहीं बल्कि भाजपा की संपत्ति बताने लगे। वह कहते हैं, ''अटल सेवा केंद्र भाजपा की संपत्ति है। इसे पार्टी के नाम करने के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास और डीसी हजारीबाग को पत्र लिखा हूं। एक मित्र के माध्यम से भी प्रापर्टी ट्रांसफर करने की बात हुई है। वैसे मैने पत्र में जो लिखा है, उस पर अमल करूंगा। '' ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब उन्हें इस भवन और भूखंड को पार्टी के नाम करना ही था तो इसकी रजिस्ट्री अपने नाम क्यों कराई?

भाजपा कार्यालय बेचने वाले भैया बांके बिहारी भी बातचीत में यह स्वीकार करते हैं, ''अटल भवन ही भाजपा का जिला कार्यालय है। वर्ष 2001 में यह जमीन पार्टी ने मेरे नाम से भाजपा कार्यालय के लिए खरीदी थी। तब से वहीं पर भाजपा कार्यालय चल रहा है। '' कार्यालय बेचने के सवाल पर वह कहते हैं, ''इसमें मेरा काफी पैसा खर्च हो गया था। पार्टी की संपत्ति बचाने के लिए मुझे अपनी जमीन बेचनी पड़ी थी। मैंने पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को इस बारे में बताया, पर सहयोग नहीं मिला। मैं जमीन पार्टी के नाम करना चाहता था, पर यशवंत सिन्हा के नाम जमीन रजिस्ट्री करने के लिए काफी दबाव था। हम दहशत में थे। भय से ऐसा किया।''

बांके बिहारी से जब सवाल किया गया कि यशवंत सिन्हा से इसके लिए आपको कितने रुपए मिले और जमीन खरीदने में आपका जितना पैसा खर्च हुआ था, क्या वह मिल गया? वह कहते हैं कि रजिस्ट्री का खर्च उन्होंने उठाया, पर पूरे पैसे नहीं दिए गये | कुछ ही पैसे दिए।वह कहते हैं कि यशवंत सिन्हा के कहने पर ही जमीन अपने नाम कराई थी।

हजारीबाग भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष राजकुमार लाल कहते हैं, '' मेरे समय में ही कार्यालय भवन पूरा बनकर तैयार हुआ था। अटल भवन में ही भाजपा की बैठकें होती रही हैं। वहां मेरा चेंबर भी था। सदस्यता शुल्क और कार्यकर्ताओं के चंदे के पैसे से 10 डिसमिल जमीन खरीदी गई थी। बांके बिहारी ने अपने नाम रजिस्ट्री करा ली थी तो मैंने शो-कॉज नोटिस भी भेजा था। लेकिन इसके बिकने के बारे में मुझे जानकारी नहीं है।''

इधर राजकुमार लाल के दावे को खारिज करते हुए बांके बिहारी कहते हैं ''भाजपा कार्यकर्ताओं के चंदे से नहीं मेरे पैसे से यह जमीन खरीदी गयी थी। भवन बनवाने में यशवंत सिन्हा के पैसे लगे हैं। हां, नींव पड़ने के बाद तत्कालीन अध्यक्षों और पदाधिकारियों ने चंदों की उगाही अवश्य की, पर वे पैसे कहां गए, पता नहीं।'' इस तरह इतना बड़ा कारनामा करने वाले बांके बिहारी पार्टी के पूर्व पदाधिकारियों पर कार्यालय बनाने के नाम पर चंदा वसूलने और हजम करने का आरोप भी मढ़ देते हैं।

हजारीबाग भाजपा के नेता शंकर लाल गुप्ता अटल भवन को पार्टी कार्यालय तो बताते हैं लेकिन पूर्व अध्यक्ष राजकुमार लाल की तरह वह भी इसके बिकने से अभी तक अनजान हैं। यह आश्चर्य नहीं तो और क्या है? सूचना क्रांति के इस युग में उक्त दोनों पूर्व अध्यक्षों के पास अभी तक पार्टी कार्यालय के बिकने की खबर नहीं पहुंची है।

हजारीबाग भाजपा के पांच बार जिला अध्यक्ष रहे केपी शर्मा कहते हैं, ''मेरे समय में पार्टी का कार्यालय तीन जगहों पर रहा। जब भैया बांके बिहारी जिला अध्यक्ष हुए तो यह फाइनली अटल भवन में शिफ्ट हुआ। भवन बनाने में यशवंत सिन्हा के पैसे लगे थे। अब यह बिक गया है।''

पूर्व अध्यक्षों की बातचीत से यह साबित होता है कि भाजपा कार्यालय बेचने और खरीदने में बांके बिहारी और यशवंत सिन्हा ही मुख्य किरदार हैं। अब हजारीबाग भाजपा कार्यालय के बिकने की खबर रांची से लेकर दिल्ली तक गूंज रही है।

कहते हैं यशवंत सिन्हा

कार्यालय खरीदने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा इसे अपने को बदनाम करने की साजिश बता रहे हैं। वह कहते हैं कि बांके बिहारी ने इसे अपने और अपनी पत्नी के नाम करा लिया था। 2009 चुनाव के बाद मैंने भवन निर्माण कराया था।

अपने नाम रजिस्ट्री क्यों कराई, पार्टी के नाम से भी करा सकते थे, के सवाल पर यशवंत सिन्हा कहते हैं कि बांके बिहारी को तुरंत पैसे चाहिए थे और पार्टी से तत्काल पैसे नहीं मिलते। इसलिए पैसे देकर अपने नाम करा लिया। पार्टी कार्यालय खरीदने के खिलाफ हजारीबाग पार्टी नेताओं के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखने के सवाल पर वह कहते हैं कि अमित शाह नहीं, यूएनओ को पत्र लिखें, इससे क्या हो जाएगा। कुछ लोग बदनाम करना चाहते हैं। इसीलिए यह मामला उठा रहे हैं।  

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