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ग्वालियर : ग्वालियर मेले की शान कहे जाने वाले "पापड़" की ये है सच्चाई, हाथ लगाना तो दूर...

Update: 2020-01-29 11:23 GMT

ग्वालियर। व्यापार मेला झूला, सोफ्टी, मौत का कुआ और पापड़ के लिए जाना जाता है। मेले में जाने वाला शायद ही कोई सैलानी हो जो मेला जाये और पापड़ खाने का आनन्द ना ले। मेले की वर्षो से शान और पहचान बना यह पापड़ मेले के पीछे बहुत ही गंदगी में बनते हैं। पापड़ को कैसे बनाया व तैयार किया जाता है यह जानने के लिए जब हमारी टीम मेले में पहुंची तो पापड़ बनते देख हम हैरान हो गए।  

दुकानो के अंदर पापड़ो को बनाने के बाद सुखाने के लिए दुकानदार ठेलो में भरकर इन पापड़ो को मेले के पीछे  मैदान में लेकर जा रहे थे। जब हम  दुकानदारों के साथ इस स्थान पर पहंचे तो देखा मैदान में चारो और कचरा और गंदगी पड़ी हुई ।जगह- जगह गाय का गोबर पड़ा हुआ था और कुत्ते घूम रहे थे। इसी मैदान में कई स्थानों पर कचरे और गंदगी के ढेर लगे हुए थे।इस सबके बीच दो लड़के बड़ी तिरपाल पर पापड़ो को फैलाते हुए नजर आये। कुछ ही देर में इन पापड़ो के उपर से गाये चलती नजर आई और कहीं कुत्ते इस तिरपाल पर पापड़ो के बीच आराम करते हुए दिखे।

वीडियो बनाते देख पापड़ सूखा रहा एक लड़का गाये और कुत्तो को भगाने के लिए नंगे पैर ही पापड़ो पर दौड़ लगाने लगा। उससे जब पूछा की यह पापड़ लोग खाते हैं। तुम फिर क्यों  इस पर नंगे पैरो जा रहे हो। तब वह बोला भाई कई बार हटाने पर भी गाये और अन्य आवारा पशु पापड़ो के पास आ जाते हैं, उन्हें जल्दी भगाने के लिए ध्यान नहीं रहता तो पापड़ो पर से निकल जाते हैं।

पापड़ सूखा रहें लड़के ने बताया की मेले में पापड़ो की मांग ज्यादा होने की वजह से सभी दुकानदार रोजाना पापड़ बनाते हैं। मेले में प्रतिदिन कई क्विनटल पापड़ बनते हैं और बिकता होते हैं। एकसाथ इतने सारे पापड़ो को सुखाने के लिए मेले में कोई भी साफ सुथरा स्थान नहीं हैं। इसलिए खाली पड़े इस मैदान में पापड़ सुखाये जाते हैं। उन्होंने बताया कि यहां गंध पड़ी है इसलिए थोड़ा साफ जगह देखकर पापड़ सूखा लेते हैं।   

मेले में पापड़ो की दुकान के बारे में आये दुकानदारों से जब बात की तो उन्होंने बताया की सूखने के बाद पापड़ो को थोड़ा साफ कर देते हैं।  

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