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अवध विश्वविद्यालय परिसर की भौगोलिक सीमा पर संकट, बगैर किसी सूचना के प्रशासन चलवा रहा हरियाली पर आरा

नागरिक उड्डयन विभाग की ओर से अधिकृत किए जा रहे विश्वविद्यालय के भवनों की वास्तविक कीमत से कई गुना कम दर पर मुआवजा शासन प्रस्तावित कर रहा है। बिना किसी सूचना के विश्वविद्यालय परिसर की हरियाली पर आरा चलवाया जा रहा है।

Update: 2021-05-24 09:53 GMT

अयोध्या (ओम प्रकाश सिंह): श्रीराम मंदिर के मद्देनजर बन रहे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के सीमा विस्तार में डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय का परिसर खत्म होता नजर आ रहा है। नागरिक उड्डयन विभाग की ओर से अधिकृत किए जा रहे विश्वविद्यालय के भवनों की वास्तविक कीमत से कई गुना कम दर पर मुआवजा शासन प्रस्तावित कर रहा है। बिना किसी सूचना के विश्वविद्यालय परिसर की हरियाली पर आरा चलवाया जा रहा है। कुलपति प्रोफेसर रविशंकर सिंह ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री को वस्तु स्थिति से अवगत कराकर न्याय की मांग की है।




अयोध्या में बन रहे प्रभु श्रीराम मंदिर के दृष्टिगत राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए जनपद में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के नाम पर अंतरराष्ट्रीय एअरपोर्ट का निर्माण किया जा रहा है। यह एयरपोर्ट डॉक्टर राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के परिसर से सटा हुआ है। एयरपोर्ट के सीमा विस्तार के लिए उत्तर प्रदेश सरकार एवं नागरिक उड्डयन विभाग ने ग्रामीणों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है। नागरिक उड्डयन विभाग कई बार अपने प्रस्ताव में संशोधन कर चुका है जिसके कारण अब अवध विश्वविद्यालय परिसर की लगभग 20 एकड़ जमीन का वह अधिग्रहण करने जा रहा है।इसके पूर्व भी लगभग 10 एकड़ जमीन का अधिग्रहण नागरिक उड्डयन विभाग कर चुका है जिसका कोई भी मुआवजा विश्वविद्यालय को नहीं मिला है।




अवध विश्वविद्यालय के पास लगभग 112 एकड़ की जमीन है। इसमें से काफी जमीन पर अवैध कब्जे हैं। पूर्व कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने घोसियाना गांव के लोगों से जमीन का एक टुकड़ा खाली कराया था। अभी भी कई एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है। विश्वविद्यालय की स्थापना 1975 में हुई थी। इसका प्रमुख परिसर इलाहाबाद रोड पर स्थित है जहां पर कुलपति कार्यालय के साथ प्रशासनिक कार्यालय व शैक्षणिक परिसर बना हुआ है। एयरपोर्ट के ठीक बगल कुलपति आवास के साथ शिक्षक कॉलोनी का निर्माण लगभग 3 दशक पूर्व हुआ था, उसमें अधिकारियों के साथ वरिष्ठ शिक्षकों का निवास है। विश्वविद्यालय का एक परिसर हाईवे पर है जिसमें कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए आवास बने हैं इस परिसर के बगल की अधिकांश जमीन पर लोगों ने कब्जा कर रखा है।




अवध विश्वविद्यालय का चौथा परिसर इंजीनियरिंग संस्थान के साथ न्यू कैंपस में विकसित किया जा रहा है। इस परिसर में अर्थ साइंस विभाग का लगभग 25 करोड़ का आधुनिक भवन बना हुआ है, साथ ही ग्रीन हाउस, अंटार्टिका भवन व फूलों से इत्र बनाने का भवन भी बना है। इन सभी भवनों का नागरिक उड्डयन विभाग जमीन सहित अधिग्रहण कर रहा है। इन भवनों की कीमत लगभग पच्चीस करोड़ है लेकिन नागरिक उड्डयन विभाग ने इसकी कीमत आठ करोड़ ही लगाई है। न्यू कैंपस की लगभग छह हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण एअरपोर्ट अथॉरिटी कर रही है।

एअरपोर्ट की सीमा विस्तार में अब कुलपति कॉलोनी भी आ गई है। यह कॉलोनी दो हेक्टेयर में बसी है। यहां पर बने भवनों की कीमत का दस प्रतिशत भी मुआवजा शासन नहीं दे रहा है। अधिग्रहण की जा रही जमीन पर लगे पेड़ों को प्रशासन ने बिना किसी सूचना के काटना शुरू कर दिया। कुलपति प्रो रविशंकर सिंह ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री कार्यालय को सूचित किया है।

विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के पूर्व सदस्य ओम प्रकाश सिंह ने नागरिक उड्डयन विभाग की इस हरकत का विरोध किया है। उन्होने कहा कि शिक्षा के मंदिर को नष्ट करके कोई भी देश तरक्की नहीं कर सकता है। उन्होंने जमीन के बदले जमीन व भवनों के वास्तविक लागत के मुआवजे की मांग करते हुए कहा कि जरुरत पड़ी तो विश्वविद्यालय को बचाने के लिए जनआंदोलन भी होगा।

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