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वुहान शहर से निकला है कोरोना वायरस, हो सकता है चीन का जैविक हथियार: जेएनयू प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली

Update: 2021-06-09 17:02 GMT

चीन एक वैश्विक खतरा (तियानमेन चौक नरसंहार से लेकर कोविड-19 परिपेक्ष्य में) विषय पर द नैरेटिव में आयोजित की जा रही सात दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार के चौथे दिन "चीन वैश्विक खतरा: रक्षा परिपेक्ष्य"  विषय पर चीन के विशेषज्ञ एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली के द्वारा व्याख्यान दिया गया। 

अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर के चीन कितना बड़ा खतरा है इस पर उन्होंने कहा कि चीन ने 1978 से विज्ञान एवं तकनीक, कृषि, व्यवसाय और अपने आर्मी के आधुनिकीकरण की ओर बहुत तेजी से बढ़ना शुरू कर दिया था। चीन के आधुनिकीकरण में अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और अन्य देशों ने बड़े स्तर सहयोग भी किया था। तब से लेकर वर्तमान परिस्थितियों में चीन के आधुनिकीकरण की वजह से वह वैश्विक स्तर पर बहुत बड़े आयामों को अर्जित कर चुका है, जिसकी वजह से उसका बीते वर्ष उसकी अर्थव्यवस्था 14 ट्रिलियन अमेरिकन डॉलर तक पहुंच चुकी है। 

उन्होंने बताया कि 1990 से चीनी सेना के बजट पर 10% का इजाफा किया गया है। जिसकी वजह से उनका चीनी सेना बजट जो अधिकारिक रूप में बताते हैं 200 बिलियन डॉलर है। मगर कुछ अमेरिकियों द्वारा यह बताया जाता है कि चीनी सेना का बजट 250 बिलीयन डॉलर के लगभग है। उन्होंने बताया कि गलवान घाटी मामले में चीन ने यह कहा कि उनके चार ही लोगों की मृत्यु हुई है, मगर 45 चीनी सैनिकों की मरने की संभावना जताई गई। चीन की लगातार बढ़ती सैन्य ताकत को लेकर के बहुत सारे देश एक साथ संगठित होकर चीन के खिलाफ हो गए है। उन्होंने बताया कि फरवरी 2012 में शी जिनपिंग जब उपराष्ट्रपति थे तब वाशिंगटन पोस्ट में दिए उनके एक इंटरव्यू के बारे में बताते हुए यह कहा उन्होंने अमेरिका और चीन दोनों देशों को एक साथ मिलकर के प्रशांत महासागर पर पर समझौता करने की बात कही थी। 

दरसअल उनका कहने का तात्पर्य यह था कि प्रशांत महासागर में चीन को भी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। उन्होंने चीनी विदेश मंत्री की तरफ से सन 2010 जुलाई में कहे गए एक बयान के बारे में बताते हुए यह कहा कि 2010 के तत्कालीन चीनी विदेश मंत्री ने सिंगापुर के विदेश मंत्री से यह कहा कि चीन एक बहुत बड़ा देश है और सिंगापुर एक बहुत छोटा देश है। आप लगभग सभी चीजो में बहुत कमजोर है तो ऐसे में आपको चीन की सारे आदेशों को मानना पड़ेगा, हमारे द्वारा कही गई सभी बातों को सुनना पड़ेगा। 

उन्होंने इस बयान के जरिए सभी छोटे देशों को संदेश दिया जैसे कि नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे देश के सामने चीन बहुत बड़ा देश हैं। दरअसल चीनी विदेश मंत्री यह कहना चाहते थे कि जितने भी छोटे देश हैं वह सब चीन के दबाव में है। कुछ दिनों पहले हुए एक बैठक के दौरान कम्युनिस्ट पार्टी के एक सदस्य ने यह कहा कि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका अपने सैन्य बल का उपयोग अन्य देश को दबाने के लिए किया करता है।जबकि उनके कहने का मतलब कुछ और ही था। प्रोफेसर श्रीकांत जी के द्वारा एक खास बात बताई गई कि चीन अभी साम्यवाद को अन्य देशों में बढ़ाने के लिए काम कर रहा है और यह एक बहुत बड़ा विश्व के लिए खतरा है। 

उन्होंने बताया कि चीन हमेशा से यह कहता है कि उसके अन्य देशों में आर्मी के बेस कैंप नहीं मगर चीन ने 2015 में ही पाकिस्तान में अपना कैम्प बना लिया है। वहीं श्रीलंका के हंबनटोटा में अपना एक मिलट्री बेस कैंप बना चुका है। कजाकिस्तान में भी इनके बेस कैम्प है। चीन का यह कार्य भी पूरे विश्व के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इस प्रकार से चीन का लीबिया, सीरिया जैसे अन्य देशों पर दबदबा है यह भी एक बहुत बड़ा खतरा है। सन 2009 में ब्रिक्स बैठक में और अन्य बैठकों में चीन ने भारत की मदद करने की बात आगे आकर जरूर कहीं मगर उन्होंने सुरक्षा परिषद में भारत को सदस्यता देने की बात कहीं से कहीं तक नहीं की थी। 

उन्होंने बताया कि जिस तरीके से दक्षिणी चीन सागर में चीन के सैन्य अभ्यास लगातार बढ़ रहे हैं यह भी विश्व के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है। जिस प्रकार से 12 चीनी वायु सेना के विमान मलेशिया में जाकर के सीमा का उल्लंघन करके लौटे यह भी बहुत बड़े खतरे के रूप में है। चीन पूरे विश्व में ग्लोबलाइजेशन का नेतृत्व करना चाहता है, जिस प्रकार से वह मुक्त व्यापार की बात करता है ऐसे में चीन के साथ कर रहे न्यूजीलैंड और पाकिस्तान द्वारा मुक्त व्यापार के दौरान कई शिकायतें चीन की आई हैं। जिस प्रकार से चीन के कथनी और करनी में फर्क आ रहा है उससे भी पूरे विश्व में सुरक्षा को लेकर के बहुत प्रभाव पड़ने की आशंका उन्होंने जताई। 

उन्होंने कहा कि चीन एक जिम्मेदार देश बनता है मगर चीन ने कहा कि हमने करोड़ों मास्क,पीपीई किट और अन्य कोरोनावायरस से बचाव सामग्रियों को कई देशों को बांटा है। मगर इन सबके बीच अगर वुहान में कोरोनावायरस बनाई गई है तो चीन वैश्विक नुकसान का जिम्मेदार होगा। उन्होंने एक सवाल का जवाब देते हुए या बताया कि चीन सिर्फ अपने आर्मी के बदौलत ही नही बल्कि साइबर क्राइम के जरिए भी पूरे विश्व में एक बहुत ताकतवर तानाशाह देश बनकर उभर रहा है। 

उन्होंने यह बताया कि मुंबई के एक अस्पताल में दो-तीन घंटे के लिए बिजली गुल हो गई थी इस मामले में कुछ अमेरिकियों द्वारा यह बताया गया कि इस तरीके से अस्पताल का बिजली चला जाना चीन की तरफ से किया गया साइबर अटैक है। उन्होंने कहा कि जहां सीमा पर चीन के 60 हजार सैनिक तैनात हैं तो वहीं भारत के 90 हजार सैनिक लद्दाख में सीमा पर तैनात है मगर इन सबके बीच साइबर अटैक का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है। क्योंकि हम बहुत बड़े स्तर पर तकनीक पर निर्भर है। 

उन्होंने दूसरे सवाल का जवाब देते हुए कहा कि चीन के वुहान लैब में कोरोनावायरस की उत्पत्ति हुई है। उन्होंने एक खास बात बताई की पाकिस्तान द्वारा कब्जा की गई कश्मीर में चीनी आर्मी के 30 हजार जवान तैनात हैं और यह भारत के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक है। इस खास विषय पर व्याख्यान देने वाले प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली अनेक मीडिया प्लेटफॉर्म, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपना व्याख्यान दे चुके हैं। दिल्ली में स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में श्रीकांत कोंडापल्ली चीनी अध्ययन विभाग में प्राध्यापक है वही उनका अध्यन चीन के विषय में काफी गहरा है।

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